मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

रवि अरोड़ा की नजर से......

 


यह कहां का इंसाफ है जी / रवि अरोड़ा  



राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा से अपना कोई लेना देना नहीं है। इस यात्रा से राहुल गांधी भाजपा की सरकार को उखाड़ फेंकेंगे, ऐसी भी कोई गलत फहमी मुझे नहीं है। हां इतना अवश्य लग रहा है कि इस यात्रा ने राहुल गांधी को अपनी छवि सुधारने तथा भारत को समझने का एक अवसर दिया है और तभी उन्हें पप्पू कहने वाले इस यात्रा से इतने बेचैन हैं। बेचैनी का आलम यह है कि पहले यात्रा को बदनाम करने की कोशिश की गई। फिर इसे गैर जरूरी बताया गया तथा उसकी राह में तरह तरह के कांटे बिछाए गए और जब किसी भी सूरत बात नहीं बनी तो अब कोरोना के बहाने इस यात्रा को बंद कराने का प्रयास किया जा रहा है। वह कोरोना जिस पर जीत का डंका मोदी सरकार साल भर पहले पीट चुकी थी, उसे झाड़ पूंछ कर चारपाई के नीचे से अचानक फिर बाहर निकाल लिया गया है। प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री और सारा सारी अमला कोरोना को लेकर बैठक कर रहा है और सोशल मीडिया पर भी हो हल्ला मचाया जा रहा है। अब हर सूरत प्रयास यह होगा कि या तो यह यात्रा तत्काल बंद हो और यदि ऐसा न हो तो इसके बहाने कांग्रेस और राहुल गांधी को वैसे ही खलनायक बनाया जाए जैसे कोरोना की पहली लहर में तबलीगी जमात और मरकज को बनाया गया था ।


प्रधान मंत्री मोदी और उनकी टीम संसद में अब मास्क पहने हुई दिखाई दे रही है। ये वही मोदी जी हैं जो चार दिन पहले ही त्रिपुरा में बड़ी रैली करके लौटे हैं। गुजरात की रैलियों में भी उन्होंने मास्क नहीं पहना। उधर, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम में जब विधान सभा चुनाव हुए तब कोरोना अपने चरम पर था । मोदी जी की रैलियां तब भी जोर शोर से वहां हुईं थी । पश्चिमी बंगाल की चुनावी रैलियों में भारी भीड़ देख कर मोदी जी और अमित शाह मंच से बेहद गदगद होने की बात कर रहे थे जबकि उन दिनों प्रतिदिन हजारों लोग कोरोना से मर रहे थे । कोरोना संकट में ही मोदी जी ने नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम करवाया था। मगर अब यही मोदी जी कोरोना से भयभीत होने का दिखावा कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि चीन समेत पूरी दुनिया में कोरोना फिर लौट आया है और हमें भी उससे सचेत रहने की आवश्यकता है मगर क्या केवल मास्क पहन कर संसद का सत्र चलाने से ही काम चल जाएगा ? इस माहमारी को लेकर सरकार की क्या तैयारियों हैं, क्या इस पर देश की सबसे बड़ी पंचायत में चर्चा नहीं होनी चाहिए ?  बेशक कोरोना के पिछले तीन हमलों के दौरान हमारे सारे दावे हवा हवाई साबित हुए मगर इस बार ऐसा नहीं होगा, मोदी जी इस पर संसद में लगे हाथ बयान क्यों नहीं देते ? 


राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से भारत कितना जुड़ेगा, यह तो मुझे नहीं पता । 2024 के चुनाव में इससे कांग्रेस को बहुत लाभ होगा , यह भी यकीन से नहीं कहा जा सकता । मगर राहुल गांधी को लेकर भाजपा जिस तरह से डरी हुई है, यह देखना बेहद रोचक है। पिछले आठ नौ सालों से जिसे पप्पू पप्पू कह कर हंसी का पात्र बनाने की कोशिश की गई, उसने ही अब रातों की नींद हराम की हुई है। यही वजह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री कोरोना के बहाने कांग्रेस से अपनी यात्रा बंद करने को अब कह रहे हैं। बेशक यदि कोरोना का संकट वास्तविक है तो केवल यह यात्रा ही नहीं ऐसी तमाम राजनीतिक गतिविधियां बंद होनी चाहिए। ठसाठस भरे हवाई अड्डे, बस अड्डे और ट्रेनें भी इसकी जद में आनी चाहिएं। कमाल है, खुद बड़ी बड़ी रैलियां करो और बेचारे राहुल गांधी को सड़कों की धूल भी न खाने दो, यह कहां का इंसाफ है जी ?



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )

 14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद  साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...