'
* * * * * * *
कमाई के पैसे न बेजा गँवाएँ।
नए साल का जश्न घर में मनाएँ।।
नए साल में क्या सही हाल होगा?
गए साल जैसा नया साल होगा।
वही आदमी का भटकना रहेगा,
वही रोज़ उलझन का जंजाल होगा।
न सड़कों पे भटकें,न होटल में जाएँ,
नए साल का जश्न घर में मनाएँ।
नया साल यूँ भी हमारा नहीं है।
नकल ये फिरंगी,गवारा नहीं है।
युवा आज लाखों-करोड़ों लुटाएँ,
ये हिन्दोस्ताँ क्या तुम्हारा नहीं है?
बच्चों की खातिर ही उपहार लाएँ।
नए साल का जश्न घर में मनाएँ।
गरीबों की बस्ती में जाकर तो देखें।
उन्हें आज अपना बनाकर तो देखें।
उमर भर का एहसान होगा तुम्हारा।
मदद के लिए पग बढ़ाकर तो देखें।
नहीं बार में कोई महफिल सजाएँ।
नए साल का जश्न घर में मनाएँ।।N
* * * * * * * * * *
--- किशोर कुमार कौशल
मोबाइल:9899831002
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें