गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

धुंध, कुहासा, सर्द हवाएँ... / #तेवरी # / ऋषभदेवशर्मा

 धुंध, कुहासा, सर्द हवाएँ...

#तेवरी #

ऋषभदेवशर्मा



धुंध, कुहासा, सर्द हवाएँ, 

भीषण चीला हो जाताहै!

शाकाहारी जबड़े में भी 

हिंसक कीला हो जाता है!!


फूलों पर चलने वाले तुम, 

कड़ी चोट को क्या जानोगे?

बहुत ज़ोर की ठोकर खाकर,

तन-मन नीला हो जाता है!!


वोट डालते दम तो, भैया, 

सब कुछ ठीक-ठाक लगता है,

किंतु नतीजा आते-आते,

ऊटमटीला हो जाता है!!


अपना दल कुर्सी पाए तो, 

अपनी मिहनत की माया है।

और जीतना किसी और का, 

प्रभु की लीला हो जाता है!!


अगर मेनका नोट लुटा कर 

वोट माँगने आ जाए तो!

विश्वामित्रों के चरित्र का 

बल भी ढीला हो जाता है!!


इतने बरसों के अनुभव से, 

अब तक बस इतना सीखे हैं!

जनता लापरवाह हुई तो, 

शासन ढीला हो जाता है!!


✍️ #ऋषभदेव_शर्मा 5/12/2022 : हैदराबाद

(Praveen Pranav की प्रेरणा से)

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