बिना टिप्पणी
ल से लड़ना सीखना
चाहती हैं हम लड़कियां
ल से नहीं लड़ती हैं लड़कियां
ल से लजाती हैं लड़कियां
ल से लज्जा है उनका आभूषण
बचपन से मां ने सिखाया है
ल से लडक़ी भी है मां
मां ने भी सीखा था
अपने दिनों में
ल से लज्जा है आभूषण
लड़कियों का
ल से नहीं लड़ती है लड़कियां
काश
ल से लडऩा सिखा देती
बचपन में मां
आज दरिन्दों को सबक
सीखा देती हम लड़कियां
हां, एक बात जरूर
कहती हूं मां
मां, तू आज से ल की
परिभाषा बदल दे
ल से लडऩे दे
लड़कियों को
बिसरा दे ल से
लज्जा की भाषा
ये आभूषण नहीं,
बंधन है
आज से कर दे हम
लड़कियों को आजाद
ल से लडऩा सीखना
चाहती हैं हम लड़कियां
मनोज कुमार
26 नवंबर 2017 को लिखा था
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