शनिवार, 4 अप्रैल 2020

विषधर शंकर की कविताएं





: गजल
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@ कवि - विषधर शंकर


हर सुबह, हर शाम हो सनम, तुम्हारी तरह ।
मधुवन की आठों याम हो सनम, तुम्हारी तरह ।

शाम ढल रही, चुपके से रजनी आई है,
जुगनूओं-सी हलचल हो सनम, तुम्हारी तरह ।

जीवन का हर पल तुम्हारा बेइंतहा इंतजार में,
यह जिंदगी तेरे नाम हो सनम, तुम्हारी तरह ।

यूं हीं नहीं आते ख्याल कि तुम मेरे दिल में हो,
ये जिंदगी की चाहत हो सनम, तुम्हारी तरह ।

मैं और मेरा अंतर्मन बस, और हो तेरा आकाश,
तारों की जगमगाहट हो सनम, तुम्हारी तरह ।

" शंकर " की बेकरारी में, हँसते हैं लोग,
प्यार का दीवानापन हो सनम, तुम्हारी तरह ।

       -----######-------


(कविता)
  जनसंख्या नियंत्रण न होने के कारण
------------------------
कवि-- विषधर शंकर

किसी भी देश के लिए
जनसंख्या नियंत्रण का होना बहुत जरूरी है।

जनसंख्या नियंत्रण का न होना, एक भयावह परिस्थितियों को दावत देने
के सामान है ?

इस भयावह परिस्थितियों से कभी चीन भी जुझा करता था।

आज वर्तमान समय में
हमारा हिन्दुस्तान भी जुझ रहा है।

जनसंख्या नियंत्रण न होने से देश की वर्तमान आबादी
130 करोड़ से 135 करोड़ तक जा पहुंची है।

जनसंख्या अनियंत्रण के कारण महगाई ने पैर पसारे
भुखमरी बढी,अराजकता फैला,बेरोजगारी बढी,
भष्टाचार बढा,चोरी,डकैती,लूट,
घुसपैठ,घूसखोरी,वेश्यावृत्ति,और आतंक ने भी
पैरपसारे हैं ।

उबा देने वाले लम्बी-लम्बी कतारें,ट्रेनों में भारी भीड़,
बसों में धक्के खाते लोग,भेड-बकरियों की तरह ,तार-तार होती हमारी इज्जत, घीसता हुआ संघर्ष

सीमित संसाधन,
विकास की गति जैसे
रूक-सी गई हो ?

चारों तरफ कोलाहल
हर तरफ चील- पौ की
आवाजें,
संडास की बदबू जैसी
आबोहवा,प्रदुषण और
हर तरफ कचरे का अंबार
यह जनसंख्या अनियंत्रित
का कारण है।

कहीं हैजा,कहीं डेंगू
कहीं महामारी,कहीं मारामारी,अशिक्षा,और
भूखे-नंगे आज यह है
भारत की तस्वीर

इस भौतिकवादी युग में
सुविधाभोगी लोगों ने
गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दिया है।

पैसे की होड, पैसे के लिए
एक-दूसरे का गला काटते लोग,और हर दिन होता
महिलाओ की इज्जत
तार-तार ,
बलात्कार!
बलात्कार !!
बलात्कार !!!
दूसरे का हक छीन रहे लोग

किसान भी कर्ज के बोझ से आयेदिन आत्महत्या तक कर रहे हैं।

भूण हत्या,दहेज-प्रथा,
जात-पात का भेदभाव
आरक्षण,आरक्षण,आरक्षण की मांग

अनेकों प्रकार की समस्याओं से जुझ रहा भारत,
बढती जा रही जनसंख्या
फिर भी,
मेरा देश महान

अब इसका अंत जरूरी
और इसका मूल जड़ है
अनियंत्रित जनसंख्या ?

लोगो के पास काम नहीं
किसानो को सही दाम नहीं
देश की गंदी राजनीति
सूरसा के मुंह की तरह फैली है ?

एक बाप के बारह बच्चे
यूं हीं नहीं बढ रहे,
अशिक्षा का अभाव
भूखमरीऔर बेरोजगारी
और तरह-तरह की बीमारी

आप समझ सकते हैं --
इनकी लाचारी ?
आप समझदार हो ?

दाता-पाता की भीड है
अगर सच्चे हिन्दुस्तानी हो तो प्रचार और प्रसार करो
जनसंख्या नियंत्रण का बिल पास करो ?

कुछ करो या मरो
कानून बनाओ
बिल बिना सोचे पास करो
कुछ भी करो परन्तु
जनसंख्या नियंत्रण पर लगाम और लगान लगाओ !!!
लेकिन,डेगू बुखार की तरह  जनसंख्या न बढाओ,

शिक्षा दो,शिक्षा लो
बच्चा पैदा करने के कारखाने अब बन्द करो
बंद करो,बंद करो!!!
हम दो हमारे एक,फिर
हिन्दुस्तान बनेगा
प्यारा और नेक !!!
जय हिंद,जय भारत
     -----------------
कवि -- विषधर शंकर ,गया
[12/06, 1:03 a.m.] Momiiii;;;: (कविता)
  जनसंख्या नियंत्रण न होने के कारण
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कवि-- विषधर शंकर

किसी भी देश के लिए
जनसंख्या नियंत्रण का होना बहुत जरूरी है।

जनसंख्या नियंत्रण का न होना, एक भयावह परिस्थितियों को दावत देने
के सामान है ?

इस भयावह परिस्थितियों से कभी चीन भी जुझा करता था।

आज वर्तमान समय में
हमारा हिन्दुस्तान भी जुझ रहा है।

जनसंख्या नियंत्रण न होने से देश की वर्तमान आबादी
130 करोड़ से 135 करोड़ तक जा पहुंची है।

जनसंख्या अनियंत्रण के कारण महगाई ने पैर पसारे
भुखमरी बढी,अराजकता फैला,बेरोजगारी बढी,
भष्टाचार बढा,चोरी,डकैती,लूट,
घुसपैठ,घूसखोरी,वेश्यावृत्ति,और आतंक ने भी
पैरपसारे हैं ।

उबा देने वाले लम्बी-लम्बी कतारें,ट्रेनों में भारी भीड़,
बसों में धक्के खाते लोग,भेड-बकरियों की तरह ,तार-तार होती हमारी इज्जत, घीसता हुआ संघर्ष

सीमित संसाधन,
विकास की गति जैसे
रूक-सी गई हो ?

चारों तरफ कोलाहल
हर तरफ चील- पौ की
आवाजें,
संडास की बदबू जैसी
आबोहवा,प्रदुषण और
हर तरफ कचरे का अंबार
यह जनसंख्या अनियंत्रित
का कारण है।

कहीं हैजा,कहीं डेंगू
कहीं महामारी,कहीं मारामारी,अशिक्षा,और
भूखे-नंगे आज यह है
भारत की तस्वीर

इस भौतिकवादी युग में
सुविधाभोगी लोगों ने
गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दिया है।

पैसे की होड, पैसे के लिए
एक-दूसरे का गला काटते लोग,और हर दिन होता
महिलाओ की इज्जत
तार-तार ,
बलात्कार!
बलात्कार !!
बलात्कार !!!
दूसरे का हक छीन रहे लोग

किसान भी कर्ज के बोझ से आयेदिन आत्महत्या तक कर रहे हैं।

भूण हत्या,दहेज-प्रथा,
जात-पात का भेदभाव
आरक्षण,आरक्षण,आरक्षण की मांग

अनेकों प्रकार की समस्याओं से जुझ रहा भारत,
बढती जा रही जनसंख्या
फिर भी,
मेरा देश महान

अब इसका अंत जरूरी
और इसका मूल जड़ है
अनियंत्रित जनसंख्या ?

लोगो के पास काम नहीं
किसानो को सही दाम नहीं
देश की गंदी राजनीति
सूरसा के मुंह की तरह फैली है ?

एक बाप के बारह बच्चे
यूं हीं नहीं बढ रहे,
अशिक्षा का अभाव
भूखमरीऔर बेरोजगारी
और तरह-तरह की बीमारी

आप समझ सकते हैं --
इनकी लाचारी ?
आप समझदार हो ?

दाता-पाता की भीड है
अगर सच्चे हिन्दुस्तानी हो तो प्रचार और प्रसार करो
जनसंख्या नियंत्रण का बिल पास करो ?

कुछ करो या मरो
कानून बनाओ
बिल बिना सोचे पास करो
कुछ भी करो परन्तु
जनसंख्या नियंत्रण पर लगाम और लगान लगाओ !!!
लेकिन,डेगू बुखार की तरह  जनसंख्या न बढाओ,

शिक्षा दो,शिक्षा लो
बच्चा पैदा करने के कारखाने अब बन्द करो
बंद करो,बंद करो!!!
हम दो हमारे एक,फिर
हिन्दुस्तान बनेगा
प्यारा और नेक !!!
जय हिंद,जय भारत
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कवि -- विषधर शंकर ,गया
[17/03, 09:06] गया शंकर विषधर शंकर: (कविता )
            सूर्य के पीछे
                         # विषधर शंकर

एक दिन
डूबते हुए सूर्य के पीछे
मैं भागता रहा, भागता रहा
कितना भागा/ कितना दौड़ा
कि कहीं डूब न जाए
मैं उसे पकड़ न सका
........पकड़ न सका
वह डूब ही गया
मैं कितना रोया
कितना-कितना आंसू बहाया
इन अँधेरों में,
आँसू पोछता रहा
किसी को पता भी न चला
मैं हाथ मलता रहा
सूर्य डूब ही गया
कब सुबह हुई
कब आँखें खुली मेरी
पता नहीं ?
लेकिन, जब देखता हूँ
आसमान की ओर
कमबख्त को,
कल जो डूबा था पश्चिम की ओर
आज वह चोर की तरह
पूरब की ओर से निकल रहा था
और मैं,उसे देखते ही दौड़ा
उसे पकड़ने के लिए
मैं उसके पीछे -पीछे
भागता रहा, दौड़ता रहा
मगर, वह मेरे हाथ न लगा
मैं पसीने से लथपथ थक-सा गया
और सोचता रहा
कल फिर पकडूंगा उसे
वह जायेगा कहाॅ , कभी न कभी
हाथ आएगा ही ।
            ########$$
कवि -- विषधर शंकर, गया।

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