मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

कविता / सुरेन्द्र ग्रोस



ईश्वर ने औकात में रहना सबको सिखा दिया
कुदरत से बढ़ कर कोई नहीं है  बता दिया

है खेल खेला चाइना तूने बड़ा ही जबरदस्त
बुरे मर्ज को चालाकी से दुनिया भर फैला दिया

सुना है चाइना में जिस ने भी करोना का खतरा
बताया उसका तुम ने काम तमाम कर दिया

करोना की चपेट ने दुनिया तो बर्बाद कर दी
खुद संभल के अपने को मजबूत कर दिया

मारकीट में  शेयर के दाम जब गिरने लगे
बहुत सस्ते शेयरों को खरीद के रख लिया

महां शक्ती बनने के लिए क्या कुछ कर दिया
कितनो की हंसती दुनिया कौ बर्बाद कर दिया

तेरी चाल समझते हैं पर मजबूर हैं सब
को तूने घरों में रहने को मजबूर कर दिया

दुनिया के मुकाबले तेरा नुकसान कुछ नहीं
सब की अर्थ व्यवस्था को कमजोर कर दिया

शक होता है जब तेरे अर्थिक शहर शंघाई
और राजधानी बीजिंग को कुछ होने नहीं दिया

संभलने की तयारी पहले ही कर ली थी तूने ‌
तभी तो सबसे पहले देश तेरा संभल गया

घमंड न करना दुनिया फिर संभल जाएगी
फल भुगतेगा अपने कर्मों का जो‌ तूने किया

तेरी करनी तू नहीं सारी दुनिया भोग रही है
तू भी तो भुगतेगा तूने दुनिया को जो ग़म दिया

कुदरत बदला ले गी तुझसे तेरी करनी का
जिन करतूतों ने दुनिया को हिला के रख दिया

ईश्वर ने औकात में रहना सबको सिखा दिया
कुदरत से बढ़ कर कोई नहीं है बता दियाकवी

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