गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

कविता / स्वामी प्यारी कौडा



अमृत पेय


साहब जी महाराज ने दिया था दयालबाग डेयरी को आकार।
दयालबाग की संगत को मिलाथा दूध मक्खन का भंडार।

एशिया में नंबर वन पर था दयालबाग डेयरी का नाम।
क्यूपिड मक्खन बन गया था विश्व में उसकी पहचान।

मेहता जी महाराज ने नर्सरी से हाईस्कूल तक।
सब बच्चों को दयालबाग डेयरी
का दूध पिलाया।

हुजूर डॉ लाल साहब ने भी अति मौज थी फरमायी।
बच्चों को दूध पिलाने की चलती रही कार्यवाही।

समय ने अब फिर से करबट बदली है।
 दयालबाग डेयरी अब नये रूप में उभरी है।

दूध की नदियां फिर से बहने लगी हैं
श्रीखंड वासुंदी रबड़ी खेतों में मिल रही है।

फ्लेवर्ड मिल्क की ठंडी बोतलें मिलती हैं खेतों में ,
परशाद में पाकर उन्हें हम सब होते तृप्त हैं।

सुपरमैन को डेयरी का गरम दूध पिलाया जाने लगा।
दाता जी ने उसे अमृतपेय का नाम है दिया।


देवताओं को कठिनता से समुंदर मंथन से थाअमृत मिला।
दाता जी की अपार दया से हमें वह सहज ही मिला।

न चिंता है अब हमें  न फ़िक्र कोई भी रही।
सुरतप्यारी दाता जी के चरणों से जुड़ी।

तमन्ना है बस यही अमृत पेय यूंही मिलता रहे।
हुकुम की तामील हम हर सांस में करते रहें।


स्वामी प्यारी कौडा़

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