प्रस्तुति - वीरेंद्र सेंगर
षड़यंत्रों की उठा पटक से नाम बना लेना लोकप्रिय होना तो नहीं .....
दोस्तो, बहुत कुछ आकर पड़ा है ।कई वीडियो हैं , ऑनलाईन लेख हैं फिर भी, लॉकडाऊन में भी नहीं देख पा रहा हूं । जल्द देखूंगा और आप मित्रो को बताऊंगा ।
मजेदार यह है कि सब घर के कमरों में बंद होकर अपने वीडियो अपलोड कर रहे हैं । अपनी किताबों का अंबार भी दिखा रहे हैं ।पर कुछ हैं जो अलहदा हैं । आरफा खानम शेरवानी ने पांच अप्रैल पर दीया जलाओ मुहिम पर अच्छा कटाक्ष किया ।दरअसल मुझे वह वीडियो बहुत पसंद आया लेकिन उनकी एक बात ठीक नहीं लगी कि आजादी के बाद मोदी जी सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं । लोकप्रियता की परिभाषा पर बात होनी चाहिए और सच यह भी है कि जितना उनका नाम है उतने ही वे बदनाम भी हैं ।आजादी के बाद कोई प्रधानमंत्री ऐसा नहीं आया जिसे इस कदर छीला गया हो ।बदनाम किया गया हो, अपमानित किया गया हो ,जिसका इस कदर मखौल उड़ाया गया हो ।और मोदी जी को देख कर लगता है कि उन्हें इस सबसे कोई गुरेज भी नहीं है । जैसे कि वे पहले दिन से जानते थे कि ऐसा ही होगा ।यानि वे स्वयं को बहुत अच्छी तरह जानते समझते थे ।जो बोया वही काटेंगे ।कितना फर्क है नेहरू और मोदी में ।नेहरू और इंदिरा कार्टूनों के जरिए हर व्यंग्य को बड़प्पन के साथ लेते थे ।पर मोदी को तो गली के नुक्कड़ पर खड़ा व्यक्ति भी ऐसे दुत्कारता है जैसे सुबह सुबह की दातौन से कचरे की झाड़ हो ।क्या ऐसा व्यक्ति लोकप्रिय हो सकता है ।आरफा फिर गौर कीजिए लोकप्रिय होना क्या होता है ।जबरन दुनिया घूम कर शोशेबाजी करके एकतरफा नाम बना लेना लोकप्रिय होना नहीं है ।गौर करने वाली बात तो यह है कि इनकी हर बात को हरकत मान कर मजाक ही उड़ा है सभ्य समाज में ।चाहे वह किसी शासनाध्यक्ष से फूहड़ता के साथ गले मिलना (विनोद दुआ की भाषा में पप्पी झप्पी) ही क्यों न हो ।तो हमें आरफा का यह कहना कि वे लोकप्रिय हैं, काफी अखरा।
नीलू व्यास 'सत्य हिंदी' छोड़ कर पूरी तरह से 'स्वराज एक्सप्रैस' में चली गयीं हैं ।अच्छा है कि 'सुनिए सच' को स्थिर गति मिल गयी है ।स्वराज के एक कार्यक्रम में पेनलिस्ट थीं ।बड़े उत्साहित होकर उन्होंने वीडियो भेजा और सच में सबसे अच्छी पेनलिस्ट लगीं ।कम से कम उस चर्चा में ।
आशुतोष और शीतल के कई अच्छे ऐपीसोड आये ।विभूति नारायण राय से अच्छी बात होती है शीतल की ।आशुतोष के दो तीन ऐपीसोड बड़े अच्छे लगे ।अब कौन से यह बताने का समय नहीं है ।कुछ दोस्तों ने मुझे लिखा है कि किसने अच्छा कहा यह आप अच्छे से बताते हैं यदि वहीं संक्षेप में क्या मुख्य बात थी यह भी बता दें तो बहुत अच्छा होगा । दूसरे मित्र ने लिखा कि हर बार एक दो के वीडियो लें और विस्तार से बात करें ।
मित्रों यह सब हो नहीं सकता ।जितना हो रहा है, जो कर रहा हूं उसे बड़ा समझिए ।बहुत परेशानी में जीवन व्यतीत हो रहा है मेरा ।जिंदादिली है बस इसीलिए जिंदा समझिए ।
उर्मिलेश जी, भाषा सिंह ,अपूर्वानंद ,अरविंद मोहन ,संजय कुंदन आदि कई मित्रों की सामग्री आयी पड़ी है ।मजबूर हूं पर जल्द देख कर लिखूंगा ।लल्लन टॉप देखते रहिए ।वह इधर उधर का आदमी है ।सरस्वती शिशु मंदिर में भी पढ़ा है और जेएनयू में भी फिर भी विस्तार से चीजों को बताता है ।इसी विस्तार के लिए देखिए ।
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