अलविदा सुशांत
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टूटा फिर से एक सितारा,
कैसे वह जीवन से हारा।
मुस्काता चेहरा तो देखो,
कितना सुंदर कितना प्यारा।।
कैसा दुख उसको था घेरा,
छाया इतना जल्द अँधेरा।
गहरी चिर निद्रा क्यों आई,
क्या प्यारा था नहीं सबेरा?
मानव क्यों विचलित होता है,
बाहर खुश अंदर रोता है।
पता नहीं चल पाता इतना,
पाता क्या है क्या खोता है।।??
यदि जीवन,संघर्ष वहीं है,
मगर पलायन सत्य नहीं है।
आत्म-हन्त बनना मानव का,
बोलो! क्या यह सत्य कहीं है?
कितना प्यारा एक सितारा,
सबकी आँखों का था तारा।
इतनी जल्दी टूट गया वह,
गम से अपने हारा- मारा।।
जो लगते हैं सबको न्यारे,
ईश्वर को भी होते प्यारे।
नहीं भूल सकता है कोई,
तुमको मेरे राज दुलारे।।
दिनेश श्रीवास्तव😢
ग़ाज़ियाबाद
[6/18, 18:16] DS दिनेश श्रीवास्तव: गीत-
हमको रहना है तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
क्यों कहते हो बात करेंगे?
सैनिक मेरे रोज मरेंगे!
सोचो फिर हम जिंदा क्यों हैं,
ऐसे जीवन पर धिक्कार।
हमको रहना है तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
बुद्ध और गांधी का देश,
पर सुभाष का सैनिक वेश।
शिवा और राणा को अब तो,
करना है हमको स्वीकार।
हमको रहना है तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
होश-जोश को आज जगा दे,
रक्त-रोम संचार करा दे।
उसी लेखनी से अब तो है,
केवल हमको करना प्यार।
हम को रहना है तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
रौद्र रूप लेखनी बनाओ,
वीरों की गाथा को गाओ।
कवियों तुम! कुछ दिन की खातिर,
छोड़ो लिखना अब शृंगार।
हमको रहना है तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
वीर-भूमि भारत है अपना,
विश्व-गुरू बनने का सपना।
आओ हम सब मिलकर कर दें,
इस सपने को अब साकार।
हमको रहना है तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
इधर बेहया पाक पड़ा है,
सीमा पर अब चीन अड़ा है।
सीमा की रक्षा करने को,
सभी उठाएँ अब हथियार।
रहना है हमको तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
बना हिमालय अपना प्रहरी,
मगर चीन की साजिश गहरी।
अबकी साजिश तोड़-ताड़ कर,
कर देना होगा लाचार।
रहना है हमको तैयार।
होगा युद्ध आर या पार।।
दिनेश श्रीवास्तव
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