सोमवार, 8 जून 2020

बचपन / डॉ प्रेम कुमार पाण्डेय





इस रचना में आंचलिक शब्दों का प्रयोग हुआ है. जो साथी भोजपुरी पृष्ठभूमि से सम्बद्ध हैं वे कविता को जी सकेंगे.

       *बचपन*

परीक्षा खत्म होने से पहले ही
आ जाता था
आदेशात्मक पोस्टकार्ड
बाबा का
बाबू जी के नाम कि
इम्तिहान खत्म होते ही
तत्काल भेज दो
बच्चों को
बहुत दिन हुए देखे
मन बडा उदास है.

उछल जाता था
 मन बल्लियों हमारा और
काला धुआं उडाती
सिगरेट पीती
आरे -सी चलती गाडी
पहुंचा देती थी
अपने देश.

आजी रखती थीं
कपारे पर सुच्चा कडुआ तेल कि
लडकों को
आ रहा होगा घुमटा
दूर देश की यात्रा से.

हमारे जागने से पहले ही
महगन जोत लेता था
कई बिगहा खेत
ऊख का.

खाना परोसते- परोसते
आजी आजिज आ जातीं
खुनसा कर कहतीं
महगन तोहर पेट नाहीं
भगवान हौ.
महगन बुरा नहीं मानता
आजी की इन बातों का
निपोर देता
नीब की दतुअन से साफ
मोते से दांत
जो चमक उठते
अमावस की रात में
जुगनू की तरह.

अक्सर महगन को
बतियाते सुनते
एक ही प्रसंग छेडता
अरे भइया
फलाने के तेरही  में
कटहर क तरकारी
खर कचौड़ी और
सजाव दही पर
भर पेट बुनिया
अइसन सुस्वाद खाना
फिर तो सपना हो गइल.

खडी दुपहरी में
पांव दबाकर
निकल जाते थे हम बबुरहनी
गोजी से लासा छुडाने
पकडे जाने पर
खींचा जाता था कान
समझाइश के साथ
नहीं लगता था डर
ऊसरवाले लगता बरमबाबा का
लासा के मोह में.

करियवा पुल के नीचे से
बहती थी गांगी नदी
निर्भय खेलते थे
मौत का खेल
तैरना न आने पर भी
भैस की पीठ पर बैठकर
चिढाते थे यमराज को.

घर के दलान में
चिरई को पकड
लाल-पीला रंग
लिलारे पर साटकर टिकुली
बना लेते थे अपना.

कडाहा  में बनते
गुड के इर्दगिर्द
मक्खी से मडराते
तिल डालकर
घोंटे हुए खुरचन के लिए.

बडका बाबू की वो बात
आज तक
समझ में नहीं आई कि
धूप में जाओगे तो
लू लग जाएगी
और कंडा हो जाओगे
पर तेज धूप में
ऊख कोडने के समय कहते
धूप में काम करोगे तो
पहलवान बनोगे
कोई अलाय -बलाय
नहीं फटकेगी तुम्हारे पास.

रात में
दुआरे बंसखट डालकर सोने में
लगता था डर हुंडार का
इनारा की सफेद जगत
भूत बनकर डराती थी
हम बच्चों को.

धीरे-धीरे
गांगी रूठ गई
बबुरहनी सिवान हो गई
महगन भी रिक्शा खीचने
सैदपुर चला गया
हमारा गाँव
हमसे कोंहाकर
चला गया
कहीं अनन्त यात्रा पर
हमारे बचपन की तरह.

अब कोई
आदेशात्मक पोस्टकार्ड
मन उदास वाला
डाकिया नहीं पहुंचाता कि
हम फिर से बैठ जाएं
धुआं उडाती
छुकछुक गाडी में.

सुप्रभात
डाॅ. प्रेमकुमार पाण्डेय
केन्द्रीय विद्यालय
बीएमवाय चरोदा भिलाई.

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