रविवार, 7 फ़रवरी 2021

13वां पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान समारोह

देवेन्द्र कुमार बहल को मिला 13वां पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान*


*समाज को समझना है, तो साहित्य को समझें : अच्युतानंद मिश्र*


*नई दिल्ली, 7 फरवरी।* साहित्यिक पत्रिका *‘अ भिनव इमरोज़’* के संपादक *देवेन्द्र कुमार बहल* को मीडिया विमर्श परिवार द्वारा रविवार को नई दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में *13वें पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान* से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के पूर्व कुलपति *अच्युतानंद मिश्र* मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय की *प्रो. कुमुद शर्मा* मुख्य वक्ता के तौर पर एवं प्रख्यात साहित्यकार *गिरीश पंकज* तथा दैनिक जागरण के एसोसिएट एडीटर *अनंत विजय* विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए *अच्युतानंद मिश्र* ने कहा कि हमारी संस्कृति लोक और शास्त्र दोनों से जुड़ी हुई है। इसलिए अगर आप समाज को समझना चाहते हैं, तो आपको साहित्य को समझना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज साहित्यिक पत्रकारिता में भाषा की गिरावट हुई है, जिसका असर समाज और उसके मूल्यों पर पड़ता है। इसलिए पत्रकारों का यह कर्तव्य है कि वे भाषा का ध्यान रखें।


इस मौके पर *देवेन्द्र कुमार बहल* ने कहा कि आप जो कुछ भी करना चाहते हैं, उसके पीछे जुनून होना चाहिए। साहित्यिक पत्रकारिता ने मुझे यह सिखाया कि आप रहें या न रहें, आपके शब्द हमेशा जिंदा रहेंगे।


समारोह की मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए *प्रो. कुमुद शर्मा* ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद साहित्यिक पत्रकारिता का हमेशा से एक विजन रहा है और उसने देश को नई दिशा देने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता भी सूचना देती है, पर उसका दायित्व मुख्यधारा की मीडिया से ज्यादा है। 


इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार *गिरीश पंकज* ने कहा कि हमारी पत्रकारिता आज बाजार के हिसाब से चल रही है, लेकिन साहित्यिक पत्रकारिता कभी भी बाजार का हिस्सा नहीं हो सकती। दैनिक जागरण के एसोसिएट एडीटर *अनंत विजय* ने कहा कि राजनीतिक पत्रकारिता से ज्यादा रुचिकर साहित्यिक पत्रकारिता है, क्योंकि संसद से ज्यादा संस्कृति में आनंद है।


‘मीडिया विमर्श’ के कार्यकारी संपादक *प्रो. संजय द्विवेदी* ने बताया कि यह पुरस्कार प्रतिवर्ष हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। इस अवॉर्ड का यह 13वां वर्ष है। ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा शुरू किए गए इस अवॉर्ड के तहत *ग्यारह हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र* दिया जाता है। पुरस्कार के निर्णायक मंडल में नवभारत टाइम्स, मुंबई के पूर्व संपादक *विश्वनाथ सचदेव*, छत्तीसगढ़ ग्रंथ अकादमी, रायपुर के पूर्व निदेशक *रमेश नैयर* तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली के सदस्य सचिव *डॉ. सच्चिदानंद जोशी* शामिल हैं।


इससे पूर्व यह सम्मान वीणा (इंदौर) के संपादक *स्व. श्यामसुंदर व्यास*, दस्तावेज (गोरखपुर) के संपादक *डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी*, कथादेश (दिल्ली) के संपादक *हरिनारायण*, अक्सर (जयपुर) के संपादक *डॉ. हेतु भारद्वाज*, सद्भावना दर्पण (रायपुर) के संपादक *गिरीश पंकज*, व्यंग्य यात्रा (दिल्ली) के संपादक *डॉ. प्रेम जनमेजय*, कला समय (भोपाल) के संपादक *विनय उपाध्याय*, संवेद (दिल्ली) के संपादक *किशन कालजयी*, अक्षरा (भोपाल) के संपादक *कैलाशचंद्र पंत*, अलाव (दिल्ली) के संपादक *रामकुमार कृषक*, प्रेरणा (भोपाल) के संपादक *अरुण तिवारी* और युगतेवर (सुल्तानपुर) के संपादक *कमल नयन पाण्डेय* को दिया जा चुका है।


कार्यक्रम का संचालन *विष्णुप्रिया पांडेय* ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन साहित्यिकी डॉट कॉम के संपादक *संजीव सिन्हा* ने किया।

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