रविवार, 14 फ़रवरी 2021

दादू माया राम की सब जगत विगोया

 बाजीगर की पूतली ज्यों मर्कट मोह्या।

दादू माया राम की सब जगत विगोया।।111।।


दादू जी महाराज कहते है कि जैसे बाजीगर बंदर को पकड़ने के लिये बंदरी की एक पुतली बना कर रख देता है और स्वयं छिप जाता है ।जब वानर आसक्ति वशी हो वहां आते है तो बंधन में बंध जाते है प्रभु की माया से भी जीव  बंधन से ऐसे ही बंधते है।


मोरा मोरी देख कर नाचे पंख पसार 

यों दादू घर आंगने हम नाचे कै बार।।112।।


दादू जी महाराज कहते है कि विषयासक्त हो मोर जिस प्रकार मोरनी के समक्ष अपना सर्व श्रेष्ठ प्रस्तुत करने का प्रयत्न करता है हम भी इसी प्रकार कितनी ही बार माया मोहित हो मिया वाले घर के आंगन में कितनी ही बार नाचते है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )

 14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद  साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...