सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

 🌹 निराला 🌹


ना धन की लालच रखते है ना सत्ता संग मिमियाते है

जो मार्ग बदल दे नदियों का दम काव्य कलम का रखते है

जो अपनी कलम के दम पर  सत्ता को थर्राते हे

ऐसे कवि फिर काव्य जगत में कवि निराला बनते है


बचपन बीत गया मेहनत में जीवन तो मुफ़लिसी में

वटवृक्ष से डटे काव्य में बन सूर्यकांत त्रिपाठी से

अनामिका, परिमल, गीतिका, गीत कुंज जो रचते है

वह तोड़ती पत्थर से फिर कवि निराला बनते है


कहीं छायावाद से अभिभूत कहीं करुणा का प्रस्फुटन है

कहीं मौन प्रियतम चुम्बन है कहीं जनमभूमी का अर्चन है

जो राम की शक्ति पूजा अपरा मातृ वंदना रचते है

रचते काव्य जो कुकुरमुत्ता से कवि निराला बनते है


उपन्यास निबन्ध कहानी संस्मरण जो रचते है

गद्य पद्य की सभी विधा  बेजोड़ काव्य जो लिखते है

अलका अप्सरा प्रभावती वो निरुपमा का रचयिता

भारत की संस्कृति निराला युगदृष्टा फिर बनते है

खंड काव्य रच  तुलसीदास सा कवि निराला बनते है


करते है श्रृंगार कविता वीर हास्य रस रोद्र में

मुक्त छंद में लिखी कविता रहस्यवाद की ओट में

लोक गीत की भाषा में जो चित्र कविता रचते है

प्रगतिवाद के रचनाकार फिर कवि निराला बनते है


ललिता शर्मा शशि 

नाथद्वारा  (राजस्थान)

1 टिप्पणी:

  1. कविता अत्यंत उच्च कोटि की है। निराला जी की जीवनी को सजीव बना दिया। साधुवाद।

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