मंदी कोरोना औऱ लॉकडाउन से आहत हो गया हैं सहारनपुर लकड़ी उद्योग : साबिर अली खान / राजेश सिन्हा
[2/6, 20:33] Anami: सहारनपुर l विश्व आर्थिक मंदी, कोरोना महामारी से लॉकडाउन औऱ चीनी सामानों की पूरी दुनियां में भरमार औऱ कड़ी स्पर्धा के चलते सहरनपुर का अंतर्राष्टीय लकड़ी बाजार के सामानों की चमक फीकी पडती जा रही है l लगातार बढ़ती चुनौतियों औऱ बाजारी जंग के चलते घटती आय औऱ नौजवानों में अपने परम्परागत कारोबार के प्रति उदासीनता के चलते काष्ठ कला उद्योग धीरे धीरे सिकुड़ता औऱ बिखरता जा रहा हैं l जिससे इसके भविष्य भावी सूरत को देख कर चिंता होने लगी है l सहारनपुर वुड कार्विंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष साबिर अली खान ने इस संवाददाता से बातचीत करते हुए काष्ठ उद्योग pr अपनी चिंता व्यक्त कील
[2/6, 20:33] Anami: सहारनपुर काष्ठ कला को औऱ अधिक विकसित तथा मॉडर्न करने की जरुरत हैं, ताकि समय के साथ साथ इस उद्योग की कला साजसज्जा को ग्लोबल चेहरा दिया जा सके l परिवहन की कोई भी मैप से सहारनपुर का सीधा जुड़ाव नहीं होने के बावजूद केवल लकड़ी कारोबार के चलते यहाँ से पूरी दुनियां में सामान भेजा जाता हैं l उपाध्यक्ष खान ने बताया की पहले शाल औऱ टीक की लकड़ी पर काम होता tha, मगर अब आम की लकड़ी पर काम होता हैं l यह लकड़ी पर्याप्त मात्रा में सुलभ भी हैं, हालांकि खान ने राज्य सरकारवसे कुछ वन क्षेत्रो को एसोसिएशन के हवाले करने की मांग की हैं, ताकि झा पर वन क्षेत्रो को बढ़ाने देख रेख करने तथा वन एरिया में लगातार विकसित होता रहे l
[2/6, 20:33] Anami: लकड़ी के हुनरमंद सामानों के लिए विख्यात काष्ठ कला उद्योग के उपाध्यक्ष साबिर अली खान ने बताया की काम के बूते यहाँ के कारोबारी इन समस्याओ से उबर भी jate, मगर ठीक इसी समय 2010 के बाद चीन निर्मित मशीनी नक्काशी के सामानों की भरमार के सामने टिकना सबसे बड़ी चुनौती बन गयी लचीनी सामान की व्यापारिक नीतियों औऱ अंतर्राष्ट्रीय पहुंच से सहारनपुर उद्योग मुकाबला कर hi नहीं सकता था l मगर कुछ समय के बाद hi चीनी सामानों की चमक धूमिल होने लगी औऱ एक बार फिर यहां के सामानों की मांग तेज हो गयी l जिससे बाजार की इज्जत औऱ साख को फिर से जिंदा होने का मौका मिला l
[2/6, 20:33] Anami: सहारनपुर काष्ठ कला उद्योग पर प्रकाश डालते हुए उपाध्यक्ष साबिर ने बताया की यह कारोबार कोई 400 साल पुराना हैं l हमारे पूर्वजों ने लकड़ी की नक्काशी शिल्पी का काम करना आरंभ किया था l आज इस उद्योग में सभी तरह के कोई 400 निर्माता hai, जो लकड़ियों के ऊपर काम करके इस उद्योग को पूरी दुनियां में पहुंचाया l लकड़ी निर्माताओं के साथ साथ लकड़ी मुहैया कराने के काम में भी सैकड़ों लोग जुटे हैं जो हमारी मांग औऱ मात्रा के हिसाब से लकड़ी मंगवाकर हमें सुविधा देते हैं l इसी उद्योग का भूतभी महत्वपूर्ण काम पैकिंग का हैं जो लकड़ी के बड़े बड़े सामानों की इस तरह पैकिंग करतें हैं की विदेशो तक सामान सुरक्षित जा स्के l इस काम में भी सैकड़ों कारोबारी अपने हजारों श्रमिकों औऱ तकनीकी दक्ष लोगों के साथ अपना काम कर रहे हैं l उपाध्यक्ष साबिर खान ने कहा की यहाँ तक तो सहारनपुर में निर्मित सामान अभी इसी शहर में हमारे पास hi hai, असली काम तो सामान को मांग के अनुसार भेजनें औऱ पहुंचने की आती हैं l इसके लिए सैकड़ों ट्रांसपोर्टर मूवर एंड पैकर सक्रिय hai, जिनके मार्फत देश भर में कहीं भी सुरक्षित सामान भेजना सरल हो जाता हैं l विदेशो में सामान भेजनें के लिए भी समुद्री जहाज औऱ विमान का सहारा लेना पड़ता हैं l हवाई जहाज से ज्यादातर सामान दिल्ली एयरपोर्ट का माध्यम हैं, जिसके लिए कोलकाता गुजरात मुंबई बंदरगाह तक सड़क के जरिये hi सामान भेजना होता हैं l सभी माध्यम से सामान भेजनें की व्यवस्थ्स शहर में hi हो जाती हैं l इस तरह पूरे कारोबार से लगभग 50 हजार लोग जुड़े हैं औऱ हर माह कोई 100 करोड़ का कारोबार होता हैं l
[2/6, 20:33] Anami: एसोसिएशन के उपाध्यक्ष साबिर अली ने बताया की कोरोना औऱ लॉक डाउन तो इस साल की समस्या hai, मगर लकड़ी उद्योग के सभी कारोबारी 2007 की आर्थिक मंदी के बाद से ही समस्याओ से जूझ रहे हैं l मंदी के चलते ग्लोबल लेबल pr सहारनपुर निर्मित सामानों की मांग घट गयी l खपत की कमी के चलते अधिकतर कारीगरों को शहर छोड़ना पड़ा, जिससे लकड़ी के सामान देश भर में बनने तो लगे मगर गुणवत्ता बारीकी औऱ काम की चमक छवि pr बहुत बुरा असर पड़ा l काम की कमी औऱ सामानों की खपत नहीं होने के कारण ज्यादातर कारोबारियों नक्काशी औऱ शिल्प के काम को छोड़ कर सामान्य तौर pr घरेलू औऱ ऑफिस साज सज्जा के अलावा टेबल कुर्सी फर्नीचर के काम को अपनाना पड़ा l मंदी की लाचारी में ढेरों कारोबारियों का इसी काम में मन लग गया l मंदी के बाद ज्यादातर कारोबारी अब दोनों काम में सक्रिय हो गये हैं l
वही काम की कमी के चलते शहर से बाहर चले गये अधिकतर कारीगर जहाँ गये वही काष्ठ कला के सामान बनाने lge, मगर साधन औऱ तकनीकी सफाई की कमी के चलते सहारनपुर के सामान की गुणवत्ता में भारी गिरावट आयी l सामान कहीं औऱ बन रहा hai, pr सहारनपुर के नाम pr सभी जगह बेचा जाने लगा l कारीगरों के बिखराव से सहारनपुरी काम की महक इमेज छवि को बट्टा लगा. जिसकी मार अभीतक हमलोग को झेलना पड़ रहा हैं l
[2/6, 20:33] Anami: प्रधानमंत्री द्वारा सहारनपुर को स्मार्ट सिटी घोषित करने से उत्साहित एसोसिएशन के उपाध्यक्ष खान का मन अब बुझ गया हैं l उन्होंने कहा की ज़ब स्मार्ट सिटी बनाया गया तो मुझे लगा की काष्ठ कला लकड़ी नक्काशी की नगरी के प्रचार प्रसार का यह नायाब मौका था l इसको इस तरह बनाया सजाया जाता की सबो को लगता की यह लकड़ी औऱ नक्काशियों का शहर हैं l शहर में लकड़ी के दर्जनों गेट औऱ दीवारों पर लकड़ी की पट्टी से सजाया जाता l इस बारे में आयुक्त महोदय को प्लान भी दिया, मगर सब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया l औऱ यह कैसा स्मार्ट सिटी बनेगा कोई नहीं जानता l
[2/6, 20:33] Anami: सहारनपुर में यूनिवर्सिटी खुलने के बारे में उपाध्यक्ष खान ने बताया की इसमें इस मौके पर एक हैंड क्राफ्ट का अलग से डिपार्टमेंट भी होना चाहिए, ताकि यहाँ के मामूली शिक्षित कारीगरों को डिप्लोमा कर साक्षर कारीगर होने का मौका मिलता l उन्होंने कहा की इस मौके पर आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन भी किया गया l अब देखना हैं की सहारनपुर यूनिवर्सिटी में इस कला कारोबार को प्रशिक्षित करने में कितना योगदान मिलता है i? तमाम चुनोतियो मुश्किलों समस्याओ के बाबजूद उपाध्यक्ष साबिर खान ने कहा की काष्ठ कला का मतलब सहारनपुर hi होता हैं l यहां के कारीगरों के हाथ में जादू हैं l इनकी बारीकी सफाई औऱ हुनर का मुकाबला ना चीन कर सकता हैं औऱ ना hi यहां से बाहर चले गये कारीगर कर सकते हैं l बस हमें सरकारी प्रोत्साहन औऱ हौसले की जरुरत hai, जिसके बूते एक बार फिर यहाँ की लकड़ी कला की धमक महक की गूँज फिर फ़ैल सकती हैं l
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