सोमवार, 16 अगस्त 2021

हिंदी का चमत्कार

 *ऐसा चमत्कार हिंदी में ही हो सकता है …*


चार मिले चौंसठ खिले, 

बीस रहे कर जोड़!

प्रेमी सज्जन दो मिले, 

खिल गए सात करोड़!!


मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा.... 

काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया, 

तो मैंने कहा – 

"बाबा आप ही बताइए, 

मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा !"


तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे – 

"देखो बेटे, यह बड़े रहस्य की बात है... 

चार मिले – मतलब जब भी कोई मिलता है, 

तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं, 

इसलिए कहा, चार मिले.. 

फिर कहा, चौसठ खिले – यानि दोनों के बत्तीस-बत्तीस दांत – कुल मिलाकर चौंसठ हो गए, 

इस तरह “चार मिले, चौंसठ खिले” 

हुआ!"


“बीस रहे कर जोड़” – दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!"


“प्रेमी सज्जन दो मिले” – जब दो आत्मीय जन मिलें – यह बड़े रहस्य की बात है – क्योंकि मिलने वालों में आत्मीयता नहीं हुई तो 

“न बीस रहे कर जोड़” होगा और न "चौंसठ खिलेंगे”


उन्होंने आगे कहा, 

"वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है, 

लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ बताते हैं, बताने वाले ! 

तो कवि के अंतिम रहस्य – “प्रेमी सज्जन दो मिले – खिल गए सात करोड़!” 

का अर्थ हुआ कि जब कोई आत्मीय हमसे मिलता है, 

तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई – जैसे ही कोई ऐसा मिलता है, 

तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – “खिल गए सात करोड़” यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!"


भई वाह, आनंद आ गया। 

हमारी कहावतों में कितना सार छुपा है। 

एक-एक शब्द चासनी में डूबा हुआ, 

हृदय को भावविभोर करता हुआ! 

*इन्हीं कहावतों के जरिए हमारे बुजुर्ग, जिनको हम कम पढ़ा-लिखा समझते थे, हमारे अंदर गाहे-बगाहे संस्कार का बीज बोते रहते थे।*


🙏🌹🙏🌹🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साहिर लुधियानवी ,जावेद अख्तर और 200 रूपये

 एक दौर था.. जब जावेद अख़्तर के दिन मुश्किल में गुज़र रहे थे ।  ऐसे में उन्होंने साहिर से मदद लेने का फैसला किया। फोन किया और वक़्त लेकर उनसे...