सोमवार, 2 अगस्त 2021

अरविंद अकेला की कुछ कविताएँ


1

    अबकी होली में 

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अबकी होली में,

आयेंगे पिया हमार ।


आयेंगे जब होली में,

नाचूँगी,गाऊँगी,

खुशियाँ मनाऊंगी,

करूंगी सोलह श्रींगार।

     अबकी होली में...।


जब वे यहाँ आयेंगे,

अपनी सेज सजायेंगे,

करुंगी खूब बातें उनसे,

पहनाउंगी बाहों का हार।

      अबकी होली में...।


होली में जब आयेंगें,

गजरा हम लगायेंगे,

बन ठनकर छमकुंगी ,

जाऊंगी संग संग बाजार।

     अबकी होली में...।


अबकी जब वे आयेंगे,

छ्प्पन भोज लगायेंगे,

खायेंगे संग संग उनके,

खिलाउंगी मिठाई बेशुमार।

      अबकी होली में...।


नहीं छोड़ेंगे होली में उनको,

करूंगी रंगों की बौछार,

लगाउंगी अबीर गालों पर,

करूंगी वेइन्तहां प्यार।

      अबकी होली में...।

         ----000---


2

       

विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर---




अपने आपको स्वस्थ्य रखें

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अपने आपको पहले स्वस्थ्य रखें,

रखें स्वस्थ्य अपना घर- परिवार,

स्वास्थ्य से हीं अपनी यह जिंदगी,

स्वास्थ्य से हीं यह सृष्टि संसार।


प्रात:काल सभी उठा करें,

उठकर करें माता पिता को प्रणाम,

सुबह सबेरे उठकर सभी  टहलें,

किया करें थोड़ा-थोड़ा व्यायाम।


सुबह सबेरे शौचालय जायें,

आकर धोयें अपने हाथ श्रीमान,

फिर दाँतों की करें सफाइ,

जीवनभर बना रहेगा  मुस्कान।


अपने शरीर की नित करें सफाई,

आकर करें अपने प्रभु का ध्यान,

हाथ धोकर खाने को बैठें ,

ताजा,स्वच्छ करें भोजन जलपान।


पान,गुटखा,खैनी को त्यागें,

नहीं करें कभी कोई  मदिरापान,

चाऊमीन,बर्गर,बासी खाना नहीं खायें,

नहीं तो चली जायेगी यह जान।


मास्क पहनकर घर से निकलें,

दो गज की दुरी को मान,

समय पर कोविड टीकाकरण करायें,

कोरोना से बचायें अपने प्राण।


स्वास्थ्य बिना कुछ भी नहीं अच्छा,

कभी नहीं कोई जग में मान,

स्वास्थ्य बचाकर सबकुछ बचा लो,

बनी रहेगी सदा तेरी शान।

      -----000----

          

3


    यह है मेरा बिहार


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यह है मेरा बिहार,यह है मेरा बिहार,

सदियों से रही जिस पर ईश्वर की छाया

बसती रही जहाँ दिलों में अपनापन,

माया,

बांटता है जो सारी दुनियाँ को अनुपम प्यार।

     यह है मेरा बिहार...l


जगत जननी माँ सीता की है यह जन्मभूमि 

कूटनीतिज्ञ चाणक्य की है यह कर्म भूमि 

नाज करती है यह सारी दुनियाँ जिस पर ,

जहाँ बहती सदा निर्मल गंगा की कलकल धार।

     यह है मेरा बिहार...।


रही सदा वीरों की यह पावन धरती,

जहाँ पर कोटि कोटि प्रतिभा है पलती,

देता यह विश्व को प्रेम- भाईचारे का दिव्य संदेश,

बांटता सारी दुनियां को यह खुशियाँ अपार।

     यह है मेरा बिहार...।


जैन,सिख,बौद्ध धर्म फले-फुले यहाँ 

जो बात यहाँ है,कहीं और है कहाँ,

गंगा जमुनी संस्कृति का रहा यह केंद्र सदा,

यहीं पर रहता युगों युगों से सदा बहार।

     यह है मेरा बिहार...।


गौतम बुद्ध को दिया इसने अनुपम ज्ञान,

यहीं से मिला गाँधी, महावीर को अमिट  पहचान,

यही है परिवर्तन,क्रांति की अमर धरती,

यहीं पर पग धरे थे विष्णु ले बामण अवतार।

     यह है मेरा बिहार...।


साहित्य,कला,संस्कृति से उर्वरा यह धरती,

इस धरा पर पग धरने के लिये दुनियाँ है मरती,

यहीं के वैशाली से हुआ प्रजातंत्र का उदय,

यहीं पर दिखता दुनियाँ को भारतीय संस्कार।

     यह है मेरा बिहार...।


यही पर हुये एक से बढ़कर एक साहित्यकार,

जिन्होने दिया साहित्य को ऊँचाई,आधार,

यहीं पर जन्मे राष्ट्रकवि दिनकर रचनाकार,

जिन्होनें किया हिन्दी का  व्यापक प्रचार प्रसार।                          

    यही है मेरा बिहार...।


रहे सदा मेरे बिहार की महिमा बरकरार,

मिले यहाँ की जनता को सुख सुविधा बेशुमार,

सदा रहे मेरे बिहार का नाम अमिट,अमर,

अनवरत बना रहे विश्व को बिहार से सरोकार।

    यह है मेरा बिहार...।

        ------000----


        4


     तेरे शहर में न होते

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गर हम पागल तुम्हारी नजर में नहीं होते,

समझो मेरी जान तेरे शहर में नहीं होते।


बड़ी मुश्किल से लाया हूँ तुम्हें सबसे छुपाके,

बड़ी कष्टों से पाया है तुम्हें बचके बचाके,

गर नहीं होते हम तेरे दिल जिगर के दीवाने,

तो समझो मेरी जान हम तेरे घर में नहीं होते।

     गर हम पागल.......।


बड़ी जालिम यह दुनियाँ तेरे मेरे प्यार की,

नहीं करती यह कद्र मेरे जाँ निसार की,

गर नहीं होते हम तरे आशिक परवाने,

समझो मेरी जाँ,जमाने के कहर में नहीं होते।

     गर हम पागल.......।

c

आरजू मेरी यह,सजा के रखना अपने चमन को,

तुझसे विनती मेरी,बचा के रखना धरा व गगन को

गर नहीं होता प्यार इस नफरत भरे जमाने में,

तो समझो मेरी जाँ तेरे दिल जिगर में नहीं हो


5



     हम हैं बिहारी 

      ----------------

सबके दिलों को जीता हमने,

जीती है यह दुनियाँ सारी,

सत्य,अहिंसा का संदेश दिया जग को, 

माँ भारती पुत्र बिहारी।

      हम हैं बिहारी...।


बिहारी प्रतिभा का लोहा मानती दुनियाँ,

हमें शूरवीर जानती दुनियाँ,

खुद्दारी हमारी रग रग में,

जानती यह दुनियाँ सारी।

       हम हैं बिहारी...।


स्वतंत्रता संग्राम में दिया योगदान हमने,

हर धर्म का सम्मान किया हमने,

कई कलाकारों की जन्म भूमि यहाँ,

जगत प्रसिद्ध यहाँ की कलाकारी।

      हम हैं बिहारी...।


कई साहित्यकार हमने दिये,

शूरवीर दिये कई हमने,

जब जब माँगी देश ने कुर्बानी,

लगा दी हमने अपनी जान सारी।

       हम हैं बिहारी...।


माँ जगत जननी की धरती यह,

भगवान बुद्ध की है यह  कर्मभूमि,

गुंजती गुरु गोविन्द की ललकार यहाँ,

हम हीं हैं प्रेम पुजारी।

       हम हैं बिहारी...।


आर्यभट्ट सा खगोलविद दिया हमने,

दिया राजेन्द्र प्रसाद सा लाल,

वीर कुवँर सिंह की धरती यहाँ 

दिया जयप्रकाश 

सा वीर क्रांतिकारी।

      हम हैं बिहारी...।

      


यहीं के नालंदा, तक्षशीला ने, 

सारे जगत को ज्ञान दिया,

जिनके अवशेष आज भी सुरक्षित,

जिसे देख गर्वित होते देश के नर नारी।

      हम हैं बिहारी...।


मोक्ष की धरती गयाधाम यहाँ ,

जहाँ विश्व से लोग आते- जाते,

यहीं देव के सुर्य मन्दिर में,

शीश झुकाते हर बिहारी।

    हम हैं बिहारी...।


स्वाभिमान बसता मेरे सीने में,

रखते काम में इमानदारी,

मजाल नहीं जो कोई आँख मिला ले,

कर ले कोई हमसे रंगदारी।

      हम हैं बिहारी...।


पहलवानों की है यह धरती,

ऋषि मुनियों की तपोभूमि,

गर कोई हमें आँख दिखाये,

निकल जाती उनकी छठी की दुध सारी ।

    हम हैं बिहारी...।


बिहारी अस्मिता जग प्रसिध्द,

यह जानते मेरे भोले भंडारी,

नहीं टकराती दुनियाँ हमसे,

हम पड़ते सबपर भारी।

      हम हैं बिहारी...।

       -----00---


6


     


तेरा गीत गाता रहूँ 

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तुम गीत बनकर मेरी श्वासों में,

गर महका करो,

मैं प्यार बनकर,

तेरा गीत गुनगुनाता रहूँ।


खुश्बू बनकर मेरे दिल में,

गर बिखरा करो,

मैं अहसास बनकर,

तेरे दिल में समाता रहूँ।


तुम मेरी धड़कनों में,

थोड़ा बस जाया करो,

मैं भँवरा बनकर तेरा,

पराग चुराता रहूँ।


तुम मेरी खुली आँखों में,

ख्वाब बनकर आया करो,

मैं हकीकत में यह जीवन, 

तुझपर लुटाता रहूँ।


तुम बहार बनकर,

मेरे जीवन में आया करो,

मैं तेरे दर्पण में, 

खुद को सँवारता रहूँ।


तुम चाँदनीबनकर,

अपनी किरणें बिखेरा करो,

मैं चकोर बनकर, 

हरपल तुझे निहारता रहूँ।

        -----0-----


7



      

भारत का गीत मैं गाता हूँ 

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माना मुझमें तुमसा,

ओज हुंकार नहीं,

तेरी तरह मेरी होती,

जय जय जयकार नहीं,

पर मैं भी हूँ भारत का,

भारत की बात बताता हूँ  ,

भारत का हूँ वासी मैं, 

भारत का गीत मैं गाता हूँ ।


मुझे किसी पद प्रतिष्ठा की,

कभी कोई दरकार नहीं,

सत्ता की करुं दलाली,

मैं वह कलमकार नहीं,

मैं हूँ एक स्वाभिमानी कवि, 

तिरंगा सदा लहराता हूँ,

मरे जब जब जवान कोई, 

वहाँ शीश झुकाता हूँ।


महलों सभासदों का,

मैं रचनाकार नहीं,

मैं किसी सत्ता का,

रहा कभी चाटुकार नहीं,

खुद्दारी है मेरी रग रग में, 

जन जन का गीत गाता हूँ,

करता हूँ मैं साहित्य सेवा, 

अपनी रचना सबको सुनाता हूँ।

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8



भारतीयता मेरी पहचान 

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बड़ा हीं किस्मतवाला हूँ मैं,

भारतीयता मेरी पहचान,

जन्म हुआ जिस देश में मेरा,

नाम है उसका भारत,हिन्दुस्तान।


तरवाँ ग्राम का मैं निवासी,

गया जिला मेरे देश की शान,

विहार मेरा अपना राज्य है,

जग में है जिसका ऊँचा स्थान।


वीरों की भुमि मेरा भारत,

जग में जिसका रहा सदा मान,

कई विद्वान,कलाकार की धरती,

जन्में लिये मेरे आराध्य, भगवान।


हमें गर्व है अपने वतन पर,

इसके लिये करुं कई जन्म कुर्बान,

हे भगवान सदा इस देश में जन्मूँ मैं,

देश सेवा के लिए निकले  मेरी जान 


9



आओ कभी मेरे अपने बिहार में 

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आओ कभी मेरे अपने बिहार में,

देखें यहाँ की छँटा,बहार,

पटना में बड़ी पटन देवी का मंदिर,

यहीं पर माँ शीतला का  दरवार।


बड़ा पावन महावीर मंदिर पटना का,

जो दिल से सबको बुलाता है,

बड़ा अनुठा गोलघर,म्युजियम यहाँ का,

सबके मन को यह भाता है।


पटना के तट पर बहती गंगा की धारा,

यह सहर्ष सबको खींच लाता है,

पतित पावन तारणी यह गंगा,

सदियों से हम सबका इससे नाता है।


बड़ा मनोहर राजगीर की वादियाँ,

सहर्ष आकर्षित कर जाता है,

जाड़े के दिनों में गर्म कुंड में नहाना,

तन मन को खुश कर जाता है।


यहीं है प्रसिद्ध पावापुरी ग्राम,

जहाँ हुआ भगवान महावीर का निर्वाण,

कपिलवस्तु से  गौतम बुद्ध आये,

पाये बोधगया में दिव्य  ज्ञान।


यहीं के तारेगना में आर्यभट्ट आये,

यहीं से महर्षि चरक दुनियाँ में छाये,

यहीं मगध में चन्द्रगुप्त, अशोक महान,

यहीं चाणक्य को मिला  सम्मान।


इसी बिहार में गुरु गोविंद सिंह जन्में,

जिनकी थी अपनी अलग आन बान,

यहीं जन्म लिये कबीर, दिनकर,रेणु,

जिनकी अलग गाथा,कीर्तिमान।


यहीं गया में वामन के  चरण पड़े,

यहीं चूर हुआ राजा बलि का अभिमान।

यहीं वैशाली है गणतंत्र की जननी,

यहीं माँ जानकी का  जन्म स्थान।


यही गया में विष्णुपद का मंदिर,

जिसकी अपनी महिमा महान,

यहीं है मोक्षदायिनी नदी फल्गु,

जहाँ लोग किया करते  पिण्ड दान 


कभी पधारो सुर्यनगरी देव,उमगा में,

जिसकी जग में अपनी अलग पहचान,

यहीं चैत,कार्तिक में छठ मेला लगता,

जिसकी महिमा नहीं की  जाये बखान।


सासाराम में शेरशाह का मकबरा,

जिसको मिला जग में मान,

यहीं गया में जरासंध का अखाड़ा,

जिसकी अपनी कीर्ति गुणगान।


मेरे बिहार में गंगा यमुनी संस्कृति बसती,

यहीं रहते हिन्दु,सिख,इसाई,मुसलमान,

बड़ी प्राचीन अपनी सभ्यता संस्कृति,

सबसे ऊँची है बिहार की  शान।

       ------000-----


10




      


हम हैं माँ भारती पुत्र बिहारी

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अपनी शख्शियत है कुछ ऐसी,

मिटती नहीं कभी हस्ति हमारी,

हमसे जग में भारत की अस्मिता,

हम हैं माँ भारती पुत्र बिहारी।

    हम हैं माँ भारती पुत्र...।


हमसे से ही यह देश महान,

हमसे मिला विश्व को ज्ञान,

हमसे फैला विश्व में विज्ञान,

जानती है यह दुनियाँ  सारी।

     हम हैं माँ भारती पुत्र...।


गुरु गोविंद,कुँवर सा नहीं दूजा शूरवीर,

जयप्रकाश सा नहीं कोई क्रांतिवीर,

बिहारी कर्मठता अनमोल है जग में,

इसकी यश-कीर्ति बड़ी है न्यारी।

    हम हैं माँ भारती पुत्र...।


जरासंघ सा नहीं कोई हुआ पहलवान,

चंद्रगुप्त,अशोक सा नहीं कोई महान,

कैसे करुं दिनकर,आर्यभट्ट का वखान,

अपनी महिमा पड़ती सब पर भारी।

    हम हैं माँ भारती पुत्र...।


चाणक्य सा नहीं कुतनीतिज्ञ,रणधीर,

अंगराज कर्ण सा नहीं कोई दानवीर,

हमसे हीं जग में गंगा यमुनी संस्कृति,

हम हैं विश्व के लिये कल्याणकारी।

    हम हैं माँ भारती पुत्र...।


हमने किया पुरे विश्व पर राज,ती पुत्र 

हमने बनाया अपने देश को सरताज,

राष्ट्रीयता,खुद्दारी  हमारे दिल में रहती,

हम हैं सदैव सर्वजन हितकारी।

    हम हैं माँ भारती पुत्र



बड़ा हीं सुंदर मेरा तरवाँ गाँव 

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सबसे सुंदर,सबसे प्यारा,

मेरा अपना गाँव, घर, परिवार,,

जिसपर है ईश्वर की कृपा,

मिलता जहाँ का प्यार।

     सबसे सुंदर ...।


बिहार राज्य के गया जिला में,

अपना भी एक घर संसार,

जहाँ मेरा जन्म हुआ था,

बीते थे बचपन के दिन चार।

     सबसे सुंदर...।


घाघरा नदी के तट पर बसा,

बड़ा हीं सुंदर मेरा तरवाँ  गाँव,

बड़ी सुंदर सड़कें यहाँ की,

सुंदर पीपल,बरगद की छाँव।

     सबसे सुंदर...।

     

स्कूल,डाकघर,अस्पताल यहाँ पर,

बड़ा यहाँ का बैंक, हाट, बाजार,

दूरदराज से लोग यहाँ आकर,

करते यहाँ खरीदारी, व्यापार।

     सबसे सुंदर...।


गाँव की सोंधी मिट्टी व प्यार से बना,

सबसे सुंदर अपना घर,आँगन,द्वार,

यहीं बसती गोविंद लाल की आत्मा,

रहता उनके बेटा का परिवार।

    बड़ा सुंदर...।


मेरे घर से सटे रहते माली व लोहार,

पास पड़ोस कोइरी,कुर्मीबसते,

रहते हैं मेरे घर के कोने पर,

धोबी,बढई,रजवार, कहार।

     बड़ी सुंदर...।


बड़ा हीं सुंदर मेरा अपना गाँव है,

सुंदर यहाँ की सभ्यता संस्कार,

सभी लोग यहाँ हिल मिल रहते,

रखते हैं जन जन से सरोकार।

     बड़ी सुंदर...।

        -----000----



           


    वह छोड़ गये हैं 

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आज नहीं है मेरे पास,

मेरे माता-पिता की कोई वसीयत,

कोई जमीन जायदाद,

नहीं है कोई बैंक बैलेंस,

नहीं कोई छोड़ी हुई हवेली,

या साधारण सा मकान। 


वह छोड़ गये है,

मेरे तन मन में अपना वजूद,

अपनी अजीम शख्शियत,

अपना अलौकिक व्यक्तित्व,

अपनी कर्मठता,ईमान, 

और अपनी ऊँची शान।


करता हूँ महसूस खुद में,

उनका जूझारुपन,

उनकी दयालुता,संघर्ष,

उनका दिया अनुशासन ,

उनकी सकारात्मक सोच,

और उनका सामजिक सम्मान।


आज उनकी बदौलत,

बन पाये एक इंसान,

मिल रही राष्ट्रीय प्रतिष्ठा,

स्वस्थ हैं अपने तन, प्राण,

बढ़ रही मेरी यश कीर्ति,

हो रहा मेरा कल्याण।

      -------000---

          


         चाहिये


काली नहीं, कलुटी  नहीं,

मोटी नहीं, नाटी नहीं ,

हमको तो रुपवती गुणवती,

एक श्रीमती चाहिये।

   काली नहीं कलुटी नहीं...।


ससुर मेरा धनवान,

सास मेरी गुणवान,

साला की कोई चाह नहीं,

साली दो चार चाहिये।

   काली नहीं,कलुटी नहीं...।


रुपया नहीं,पैसा नहीं,

धन नहीं,दौलत नहीं,

हमको तो टीवी,फ्रीज,गोदरेज,

एक मोटरकार चाहिये।

   काली नहीं,कलुटी नहीं...।


गर कोई ऐसा परिवार मिले,

पत्नी का प्यार मिले,

अतिशीध्र हीं मुझे,

उसका पत्ता बतलाईये।

    काली नहीं,कलुटी नहीं...।


बताने वाले को उचित कमीशन,

इज्जत और शोहरत मिशन,

गर कोई मुल्ला हो,

उनको यहाँ लाईये।

    काली नहीं,कलुटी नहीं...।

      -----0----

           



   श्रीराम का संदेश है 

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आओ अपने प्यारे देश भारत को , 

एकबार फिर से जगत गुरु बनायें,

भगायें देश के दुश्मनों को देश से बाहर,

विश्व में अपना परचम लहरायें,

यह"अकेला"का नहीं कोई उपदेश है ,

यह भगवान श्रीराम का संदेश है ।

    यह भगवान श्रीराम ...।


बाटें फिर से विश्व को ज्ञान,विज्ञान,

योग,आयुर्वेद में बढ़ायें  भारत का मान,

रहें सभीजन यहाँ सुखी,स्वस्थ,शान्ति से,

करें सभी एकदूजे का आदर सम्मान,

वे लोग देखें इस देश से बाहर का रास्ता ,

जिन्हें हिन्दुस्तान से नफरत,क्लेश है।

    यह भगवान श्रीराम का...।


विश्व में भारत रहे सदैव शक्ति सम्पन्न,

किसान होंगे सुखी,कम नहीं होगा अन्न,

सभी धर्म के लोग रहें यहाँ हँसी-खुशी से,

सभी भारतवासी रहें  एकदुजे से प्रसन्न,

चुन चुनकर मारें आतंकी,नक्सली को ,

बदले जो नेता,पत्रकार,आमजन के भेष हैं।

    यह भगवान श्रीराम का...।


देश में अब हो रहा जनसंख्या विस्फोट,

मिलकर सभी इसे विस्फोट से बचायें,

गर रखना हो देश सुखी,संपन्न,सुरक्षित,

दो वच्चों का छोटा परिवार अपनायें,

जो नहीं कर सकते यह सपना साकार,

उनका कर रहा इंतजार दुसरा देश है।

     यह भगवान श्री राम का...।


हर भारतीय में राष्ट्रीय भावना जगायें,

देश में सभी वंदे मातरम् कहना सीख जायें,

जो उठाते अंगुली अपने वीर जवान पर,

सभी जन उनकी अंगुली तोडकर लायें,

नहीं रहेगा अब निर्धन,कमजोर भारत,

बदल रहा समय,बदल रहा परिवेश है।

     यह भगवान श्री राम का...।

      -------000----

        



    प्रेम की एक पाती

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प्रेम की एक पाती लिखो,

देश के वीर जवानों के नाम,

माता-पिता सकुशल तुम्हारे,

वेफिक्र हो करो अपना काम।

    प्रेम की एक पाती लिखो...।


बीबी तुम्हारी सदैव राह देखती,

लेती सुबह-शाम तेरा नाम,

करती दुवा वह अपने ईश से,

करो दुश्मन का काम तमाम।

    प्रेम की एक पाती लिखो...।


वीर पिता के पुत्र हो तुम,

देश को तुमपर नाज,अभिमान 

कभी डगमगाये नहीं तेरे कदम,

देना अपने फर्ज को अंजाम।

    प्रेम की एक पाती लिखो...।


यह देश वलिदान मांगता,

मांगता यह तन-मन प्राण,

नहीं समझो कमजोर खुद को,

दुश्मन को दो यह पैगाम।

    प्रेम की एक पाती लिखो...।


बढ़ रहा दुश्मन अपने सीमा पर ,

लगा दो तुम उसपर लगाम,

चीर दो सीना दुश्मन का,

तब लो तुम चैन,विश्राम।

    प्रेम की एक पाती लिखो...।


कभी खुद को अकेला नहीं समझो,

यह कवि"अकेला"तेरे साथ सुबह-शाम,

तुम हो माँ भारती के लाल,

करती सैल्युट तुझे सारी आवाम।

    प्रेम की एक पाती लिखो...।

     ------000----

           


भेड़िया चल रहा अपनी चाल

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भेड़िया चल रहा अपनी  चाल,

भ्रष्टाचारी हो रहे मालामाल,

नेता लूट रहे अपने देश को,

यह देश हो रहा है कंगाल।


किसी को नहीं देश की चिंता,

सब सजा रहे इस देश की चिता,

जनता यहाँ की सोयी हुयी है,

करके खुद को बदहाल।


आयेगा कोई मदारी एक दिन,

दिखायेग अपनी खेल व चाल,

लुटकर सब ले जायेगा वह,

कर देगा हम सबको फटेहाल।


मत सोओ,अब जागो देशप्रेमियों,

नहीं तो होगा बड़ा बुरा हाल,

"अकेला"की बात नजरअंदाज किये तो,

मचेगा देश में हाहाकार,बबाल।

     -------000-----

         अरविन्द अकेला

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