#लघुकथा2 / #कहानीआजकी
🌹 शादी-अटूट बंधन 🌹
पतिदेव एक MNC में उच्च पद पर कार्यरत हैं। इनकी अरेंज्ड मैरिज है। इनकी पत्नी गाँव की सीधी- सादी महिला हैं, जो घर संभालने में, रसोई बनाने में, पूजा-पाठ करने में तो निपुण हैं, पर आज कल की hi-fi technology से कोसों दूर है, क्योंकि वो कम पढ़ी लिखी हैं।
शादी को 8 साल हो चुके हैं। स्मार्ट फ़ोन, कंप्यूटर, लैपटॉप पत्नी जी ने शादी के बाद ही देखे हैं।।
पतिदेव चाहते हैं कि उनकी पत्नी सब कुछ सीखे पर पत्नी जी जैसी हैं, वैसी ही खुश हैं। वो खुद को बदलना नहीं चाहतीं।
यह दोनों एक महानगर की hi-rise सोसाइटी में 8थ फ्लोर पर 6 महीने पहले ही रहने आए हैं। पतिदेव की कंपनी ने तरक्की के साथ-साथ यहां तबादला कर दिया है। ये फ्लैट भी कंपनी ने ही दिया है।
एक दिन पतिदेव बेचारे थके -हारे आफिस से घर लौटे।
पत्नी जी चाय ले आईं, पर चाय में दूध नहीं था। चाय देखकर पति ने खीजते हुए पूछा- "ये चाय ऐसी क्यों है"?
"क्योंकि घर में दूध खत्म हो गया था?", पत्नी जी ने जवाब दिया।
"तो नीचे ही शॉप है सोसाइटी में , दूध ले आती!!!,"
"चली तो जाती, पर 8 मंज़िल तक सीढियाँ चढ़कर आना पड़ता" (पत्नी को लिफ्ट चलाना नही आता था,)
यह सुनकर पतिदेव बहुत नाराज़ हो गए। गुस्से में चिल्लाते हुए बोले, " तुमसे कितनी बार कहा है लिफ्ट चलाना सीख लो। ये कोई इतनी बड़ी बात भी नहीं है, पर तुम्हे कोई इंटरेस्ट ही नहीं है। तंग आ चुका हूँ तुमसे। इससे तो मैं अकेला ही अच्छा हूँ। तुम तो मेरा पीछा छोडोगी नही, मैं ही चला जाता हूँ इस घर से" और वो उठकर बाहर जाने लगे।
पत्नी थोड़ा सकपकाई और तुरंत ही पतिदेव को रोकने के लिए मान मनुहार करने लगी।
पर जब पतिदेव नही माने तो पत्नी कुछ यूँ बोली,-
तुम हो मॉडर्न म्यूजिक, मैं क्लासिकल संगीत पिया,
अपना तन मन जीवन मैंने तुम्हे दिया।
तुम हमसे खुश रहो या दुखी,
जैसी हूँ,जो हूँ, तुम्हारे लिए अब तो हूँ मैं ही।
जन्म भर का है ये साथ, यूँ ही ना छूट पाएगा,
रूठ कर हमसे कहाँ जाइएगा।
ये शादी हमारी है खट्टी,मीठी,तीख़ी भेल सी,
परफेक्ट तो ना तुम हो, ना हूँ मैं ही।
और प्रियतम मेरे,
कोशिश करूँगी जैसी तुम चाहो , वैसी बनने की,
पर रहूँगी फिर भी ऐसी ही।
यह सुनकर पतिदेव का सारा गुस्सा काफूर हो गया।
इनके होंठों पर मुस्कुराहट तैर गई।
😂😂🙏
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