दोहा-छंद
*शनि*
धर्मभीरु करते सभी,शनि पूजन शनिवार।
मेरे लिए समान हैं,सभी सोम-इतवार।।
बिन वैज्ञानिक सोच के,बनते लीक- फ़क़ीर।
कभी ग्रहों के खेल से,बनती क्या तकदीर।।?
नव ग्रह में ही एक है, 'शनि' की अपनी चाल।
अपनी गति से वह चले,हम पूछें क्यों हाल।।?
यह खगोल विज्ञान है,करें अध्ययन आप।
राहु- केतु-शनि का तभी, कर पाएँगे माप।।
पौराणिक बातें सभी,राहु-केतु-शनि दोष।
पूजन कर मिलता रहा,केवल मिथ्या तोष।।
कर्म करें,सत्कर्म करें,चलें कर्मपथ आप।
चिंता मत करिए कभी,राहु-केतु-शनि शाप।।
तर्कशील बनकर रहें,कर्म करें निष्पाप।
हिम्मत क्या शनि का कभी,दे सकता जो ताप।।?
मंदिर मस्जिद बंद हैं,आज कॅरोना काल।
राह,केतु,शनि हैं कहाँ,कुछ तो करें धमाल।।
पुलिस चिकित्सक नर्स हैं,यही हमारे देव।
राहु-केतु-शनि छोड़कर,इनकी करिए सेव।।
मनसा वाचा कर्मणा,करें आचरण शुद्ध।
राहु-केतु-शनि छोड़कर,बनिये आप प्रबुद्ध।।
दिनेश श्रीवास्तव
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