*एक लड़का जब २० साल का हुआ तो उसके पिता ने उसे एक पुराना कपड़ा देकर उसकी कीमत पूछी।*
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*लड़का बोला 100 रु। तो पिता ने कहा कि इसे बेचकर दो सौ रु लेकर आओ। लड़के ने उस कपड़े को अच्छे से साफ़ कर धोया और अच्छे से उस कपड़े को फोल्ड लगाकर रख दिया।अगले दिन उसे लेकर वह रेलवे स्टेशन गया,जहां कई घंटों की मेहनत के बाद वह कपड़ा दो सौ रु में बिका।*
*कुछ दिन बाद उसके पिता ने उसे वैसा ही दूसरा कपड़ा दिया और उसे 500 रु में बेचने को कहा।*
*इस बार लड़के ने अपने एक पेंटर दोस्त की मदद से उस कपड़े पर सुन्दर चित्र बना कर रंगवा दिया और एक गुलज़ार बाजार में बेचने के लिए पहुंच गया।एक व्यक्ति ने वह कपड़ा 500 रु में खरीदा और उसे 100 रु इनाम भी दिया।*
*जब लड़का वापस आया तो उसके पिता ने फिर एक कपड़ा हाथ में दे दिया और उसे दो हज़ार रु में बेचने को कहा। इस बार बच्चे को पता था कि इस कपड़े की इतनी ज्यादा कीमत कैसे मिल सकती है । उसके शहर में मूवी की शूटिंग के लिए एक नामी कलाकार आई थीं।लड़का उस कलाकार के पास पहुंचा और उसी कपड़े पर उनके ऑटोग्राफ ले लिए।*
*ऑटोग्राफ लेने के बाद बच्चे ने उसी कपड़े की बोली लगाई। बोली दो हज़ार से शुरू हुई और एक व्यापारी ने वह कपड़ा 12000 रु में ले लिया!*
*रकम लेकर जब लड़का घर पहुंचा तो खुशी से पिता की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने बेटे से पूछा कि इतने दिनों से कपड़े बेचते हुए तुमने क्या सीखा?*
*लड़का बोला -"पहले खुद को समझो,खुद को पहचानो। फिर पूरी लगन से मन्ज़िल की और बढ़ो,क्योकि जहां चाह होती है,राह अपने आप निकल आती है।"*
*पिता बोले कि तुम बिलकुल सही हो,मगर मेरा ध्येय तुमको यह समझाना था कि*
*"कपड़ा मैला होने पर इसकी कीमत बढ़ाने के लिए उसे धो कर साफ़ करना पड़ा,फिर और ज्यादा कीमत मिली जब उस पर एक पेंटर ने उसे अच्छे से रंग दिया और उससे भी ज्यादा कीमत मिली जब एक नामी कलाकार ने उस पर अपने नाम की मोहर लगा दी।"*
*"संघर्ष ही जीवन है।ऐसे ही छोटे-छोटे कदमों से चलते हुए रास्ते की बाधाएं साहस और सूझबूझ से सुलझाओगे तो मंजिल बड़े प्यार से तुम्हारा स्वागत करेगी।*
*कुसंग से बचते हुए लक्ष्य पर ध्यान एकाग्र करो।अपने परम हितैषी माता पिता की सलाह को मानो और ईश्वर की कृपा का भी सहारा लो,सफलता तुम्हारे कदम अवश्य चूमेगी।"*
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