*चेला तुम्बी भरके लाना.....तेरे गुरु ने मंगाई,,*/ गुरु भिक्षा
चेला भिक्षा लेके आना गुरु ने मंगाई,
*पहली भिक्षा #जल की लाना--* कुआँ बावड़ी छोड़ के लाना,
नदी नाले के पास न जाना-तुंबी भरके लाना।
*दूजी भिक्षा #अन्न की लाना-* गाँव नगर के पास न जाना,
खेत खलिहान को छोड़के लाना, लाना तुंबी भरके,
तेरे गुरु ने मंगाई ।
*तीजी भिक्षा #लकड़ी लाना--* डांग-पहाड़ के पास न जाना,
गीली सूखी छोड़ के लाना-लाना गठरी बनाके ।
तेरे गुरु ने मंगाई !
*चौथी भिक्षा #मांस की लाना--* जीव जंतु के पास न जाना,,
जिंदा मुर्दा छोड़ के लाना--लाना हंडी भरके
तेरे गुरु ने मंगाई.....चेला तुंबी भरके लाना,,,,
📝गुरु चेले की परीक्षा ले रहे हैं। *चार चीजें मंगा रहे हैं:जल, अन्न,लकड़ी, मांस।*
लेकिन शर्तें भी लगा दी हैं।अब देखना ये है कि चेला लेकर आता है या नहीं,इसी परीक्षा पर उसकी परख होनी है।
*जल लाना है*, लेकिन बारिश का भी न हो, कुएं बावड़ी तालाब का भी न हो।अब तुममें से कोई नल मत कह देना या मटका या आरओ कह बैठो।सीधा मतलब किसी दृष्ट स्त्रोत का जल न हो।
अन्न भी ऐसा ही लाना है किसी खेत खलिहान से न लाना,गाँव नगर आदि से भी भिक्षा नहीं मांगनी।
*लकड़ी भी मंगा रहे हैं* तो जंगल पहाड़ को छुड़वा रहे हैं, गीली भी न हो सूखी भी न हो, और बिखरी हुई भी न हो, यानी बन्धी बंधाई कसी कसाई हो!
*मांस भी मंगा रहे हैं* तो जीव जंतु से दूरी बनाने को कह रहे हैं और जिंदा मुर्दा का भी नहीं होना चाहिए।
*मैं चेला होता तो फेल होता परीक्षा में,* लेकिन यह प्राचीन भारत के #गुरुओं द्वारा तपाकर पकाकर तैयार किया गया शिष्य है।आजकल के पढ़े लिखों से लाख बेहतर है।
*सही उत्तर है ...#नारियल!*
*अब नारियल को देखो,जल भी है इसमें और कुएं बावड़ी नदी झरने का भी नहीं है,अन्न भी है इसमे जो खाया जाए वह अन्न है,लेकिन खेत खलिहान गाँव शहर का भी नहीं है,*
*तीसरी चीज लकड़ी भी है ऊपर खोल पर,अंदर गीला भी है, बाहर सूखा भी है और एकदम बंधा हुआ भी है कसकर।*
*अंतिम में कहते हैं मांस भी लाना--यानी कोई #गूदेदार फल।*
_इस मांस शब्द के कारण शास्त्रों के अर्थों के खूब अनर्थ हुए हैं बालबुद्धि लोगों द्वारा।_
_आयुर्वेद में एक जगह प्रसंग है कि फलानी बीमारी में कुमारी का मांस बहुत फायदेमंद है, तीन महीने तक सेवन करें।_
_आज़कल के बुद्धिजीवी यानी #बिनाबुद्धि के लोग कह देंगे कि देखो कैसे कुंवारी लड़कियों के मांस खाने का विधान है शास्त्रों में।_
_♦जबकि कुमारी से वहां #घृतकुमारी यानी ग्वारपाठा यानी एलोवेरा के गूदे को कहा गया है।_
_हर गूदेदार फल को मांस कहा गया है।यदा कदा तो गुरु भी यही मंगा रहे हैं कोई गूदेदार फल।_
_✅चेला नारियल लेकर आता है और गुरु का प्रसाद पाता है आशीर्वाद रूप में। कितना रहस्य छुपा हुआ है पुरानी कहावतों एवं लोकगीतों में।_
*#बुजुर्गों के पास बैठकर यह सब सुनना चाहिए इससे पहले की यह अंतिम पवित्र पीढ़ी इस दुनिया को अलविदा कहे।*
*चेला तुंबी भरके लाना!*
🙏🙏🙏🙏
बहुत ही सुन्दर रचना।
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