गुरुवार, 7 जनवरी 2021

पलकें / संतोष अग्निहोत्री

 _पलकें / संतोष  अग्निहोत्री 


तुम बिन 

बारिश भी सूखी सी🌫


तुम बिन

हवा चले रूठी सी😔


तुम बिन

खुशबू भी फीकी सी🌹


तुम बिन

हँसी भी झूठी सी🙂


तुम बिन

तारे कम हैं चमके⭐


तुम बिन

फूल नहीं हैं महके🌻


तुम बिन

पलकें भी हैं बोझिल😞


तुम बिन

कुछ कहना है मुश्किल🤐


सच्ची..................


❤❤❤❤

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...