गुरुवार, 28 जनवरी 2021

कभी कभी मेरे दिल में..../ रतन भूषण

 चलते चलते.../ कभी कभी मेरे दिल में........


ऐसा मेरा मानना है कि जो भी लोग फ़िल्म संगीत को थोड़ा सा भी पसंद करते या सुनते होंगे, वे कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है... को जरूर चाहे अनचाहे गुनगुना लेते होंगे। ऐसा हो भी क्यों न? यह अनूठे बोल वाला गीत है ही इतना मधुरता लिए कि सहज ही लोगों की जुबान पर चढ़ जाता है। 

यह गीत फ़िल्म कभी कभी का है, जो 27 जनवरी 1976 को रिलीज हुई थीं। वैसे तो इस फ़िल्म के सभी गीत तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती... किशोर कुमार- लता मंगेशकर, मैं पल दो पल का शायर हूं... मुकेश, सुर्ख जोड़े की ये जगमगाहट... लता मंगेशकर, प्यार कर लिया तो क्या... किशोर कुमार, मेरे घर आई एक नन्ही परी... लता मंगेशकर, मैं हर एक पल का शायर हूं... मुकेश और तेरा फूलों जैसा रंग... किशोर कुमार-लता मंगेशकर बेहद सुरीले हैं, लेकिन गीत कभी कभी मेरे दिल में... फ़िल्म में तीन बार बजता है और तीनों बार अलग अलग अंदाज में। एक बार अमिताभ बच्चन की आवाज में, जो नज़्म है। एक बार लता मंगेशकर और मुकेश की आवाज़ में युगल गीत के रूप में और एक बार सिर्फ मुकेश की आवाज़ में। 

कभी कभी एक रूमानी फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण यश चोपड़ा ने किया था और इसमें अमिताभ बच्चन, राखी, शशि कपूर, वहीदा रहमान, ऋषि कपूर, नीतू सिंह, सिमी गरेवाल, परीक्षित साहनी, इफ़्तिख़ार, देवेन वर्मा आदि कलाकारों ने काम किया था। इस फ़िल्म से विशेषकर खय्याम को उनकी संगीत रचनाओं के लिए ख्याति मिली। उन्हें संगीत के लिए, जबकि फिल्म के गीतकार साहिर लुधियानवी को कभी कभी मेरे दिल में... गीत के लिये और गीत कभी कभी... के लिए गायक मुकेश को फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

यह फ़िल्म हर तरह से भव्य थी। यही वजह है कि लोगों ने इसे खूब पसंद किया। इसकी कहानी भी अनोखी थी। अमित मल्होत्रा कॉलेज में अपनी कविताओं में से एक को पढ़ता है, जहां वह सहपाठी पूजा से मिलता है। दोनों प्यार में पड़ते हैं, लेकिन पूजा के माता-पिता उसकी शादी एक वास्तुकार विजय खन्ना से करते हैं। अमित पिता के व्यवसाय में शामिल होता है। वह अंजलि से शादी करता है, जिसकी गुप्त रूप से पिंकी नाम की एक बेटी है, जो पूर्व वैवाहिक संबंध से है। वह कहीं और रहती है। अमित और अंजली की बेटी स्वीटी है। अगली पीढ़ी में पूजा और विजय का बेटा विकी है जो पिंकी से प्यार करता है। एक दिन पिंकी अपनी मां अंजलि को पहचान जान जाती है। अंजलि गुप्त रूप से बेटी पर अपना प्यार दिखाती है, लेकिन अमित सब जानते हुए अनजान बना रहता है, क्योंकि उस कभी में भी उसी का दिल दुखा था और इस कभी में भी उसी का दुखना था।

अब बात गीत कभी कभी... की, हम आज भी इस गीत को सुनकर मुग्ध होते हैं, जिसे शायर साहिर लुधियानवी ने बहुत पहले नज़्म और गीत के रूप में लिखा था। लेकिन हम जिस गीत को सुनते नहीं थकते हैं, उसमें आवाज़ है मुकेश और लता मंगेशकर की। पर सच यही है कि इस गीत को नए अंदाज में गवाया गया। संगीतकार खय्याम साहिर के इस गीत को बहुत पहले दो गायिकाओं से युगल गीत के रूप में गवा चुके थे। यह बात सन 1957 की है और इसमें तब आवाज़ थी गीता दत्त और सुधा मल्होत्रा की। इन दोनों ने गीत को अलग अंदाज में गाया था। सुधा मल्होत्रा इस बारे में बताती हैं, हां, यह गीत तब भी खय्याम साहब ने ही हमसे गवाया था, लेकिन मुझे उसकी धुन अब याद नहीं है। दरअसल उस फ़िल्म को चेतन आनंद बना रहे थे। जिस फ़िल्म के लिए यह गीत रिकॉर्ड हुआ था, वह किसी कारणवश नहीं बनीं, तो गीत खय्याम साहब के पास ही था। जब कभी कभी के संगीत के लिए यश चोपड़ा ने खय्याम साहब को चुना, तो उन्हें इस गीत की याद आ गयी। फ़िल्म के गीतकार भी साहिर ही थे और बोल भी वही, तो बात बन गयी। फिर फ़िल्म का शीर्षक भी यही तय हो गया यानी कभी कभी...। यह जो गीत आज सुना जा रहा है, धुन खय्याम साहब ने कमाल की बनाई है। लता मंगेशकर और मुकेश जी ने बहुत खूब गाया भी है।

लेकिन एक सवाल यह भी तो होता है कि जब सुधा थीं तो खय्याम साहब ने उनसे यह गीत क्यों नहीं गवाया? सुधा मल्होत्रा ने कहा, मेरी शादी 1960 में हो गयी थी और उसके बाद मैंने गाना छोड़ दिया था। मैं फिल्मी दुनिया से पूरी तरह दूर हो गई थी और यह सबको मालूम था। इसलिये मुझे नहीं याद किया गया। 

हालांकि राज कपूर के बहुत कहने पर सुधा मल्होत्रा ने  1982 में आयी उनकी फिल्म प्रेम रोग के लिए एक गीत अनवर के साथ लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत निर्देशन में गाया था, जिसके बोल थे, ये प्यार था या कुछ और था, न तुझे पता न मुझे पता....। सच में, कभी कभी मेरे दिल में... गीत को पहले सुधा मलहोत्रा ने गाया था, यह न मुझे पता था, न ही आपको....!

-रतन

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