रविवार, 20 जून 2021

बाबूजी और श्मशान / जयनंदन

बाबूजी और शमशान


बाबूजी श्मशान थे

और श्मशान एक तरह से बाबूजी 

दोनों एक-दूसरे के पर्याय

रोज बाबूजी में चितायें जलती थीं

और रोज चिताओं में बाबूजी जलते थे

डरावने अंधेरों की नीरवता में गुम 

श्मशान में

यानी बाबूजी में

अनगिनत कुत्ते और स्यार गुहार मचाते थे

और कुत्ते तथा स्यारों की आवाजों से

श्मशान की

यानी बाबूजी की

पहचान बनती थी

इस तरह बाबूजी में श्मशान था

और श्मशान में बाबूजी


बाबूजी और श्मशान 

 

और श्मशान एक तरह से बाबूजी 

दोनों एक-दूसरे के पर्याय

रोज बाबूजी में चितायें जलती थीं

और रोज चिताओं में बाबूजी जलते थे

डरावने अंधेरों की नीरवता में गुम 

श्मशान में

यानी बाबूजी में

अनगिनत कुत्ते और स्यार गुहार मचाते थे

और कुत्ते तथा स्यारों की आवाजों से

श्मशान की

यानी बाबूजी की

पहचान बनती थी

इस तरह बाबूजी में श्मशान था

और श्मशान में बाबूजी


जयनंदन



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