बुधवार, 30 मार्च 2022

सिमटे पृष्ठ में मेरी आज की कविता./ आनंद शंकर

 


जाने पहली बार कब निकला होगा चाँद?

जाने किसने चाँद को देखा होगा पहली बार?

चाँद को देखकर वो शरमाया होगा,

या उसको देखकर शरमाया होगा चाँद?


चाँद के साथ उसकी दूधिया रोशनी,

पहाडों पर,नदियों की मचलती धारा पर,

या पेड़ों की डाल पर पड़ी होगी,

यह तो वो जाने या जानता होगा चाँद।


चाँद के साथ ही उतरे होंगे हजारों अफसाने,

उन अफसानों के साथ जुड़कर,

उसकी भीनी प्यार की खुशबू में,

डूबता,मचलता, महकता होगा चाँद!


चाँद शुरु से ही शीतल रहा होगा,

उसे बनानेवाले ने यही सोचकर बनाया होगा उसे,

कि जब उलझन में फँसे मन को कुछ नहीं सूझेगा,

तब उसे बहलाएगा, समझाएगा, हरषाएगा चाँद।


सब चाँद को चाहते हैं,

पर चाँद की , 

चाहत को समझना इतना भी आसान नहीं है,

मैं भी देखता हूँ, और भी देखते होंगे,

पर कितना खुशनसीब होगा वह ?

जिसे देखता होगा चाँद।


साभार - हिंदी विभाग

मगध विवि  गया 

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