गुरुवार, 31 मार्च 2022

प्रेम पर नियंत्रण / ओशो

 *हम जिसे प्रेम करते हैं, उस पर नियंत्रण करने लगते हैं।* 


पति और पत्नी,  मां और बेटों,  भाइयों और बहनें,  मित्रों के बीच जो संघर्ष होता है वह यही है। कौन किस पर आधिपत्य जमाएगा? कौन किसको परिभाषित करेगा?  कौन किसका कद छोटा करके उसे छोटा करके उसे वस्तु बनाएगा ? कौन मालिक होगा और कौन दास होगा?  


  प्रेम का अर्थ होता है  : आदर,  अत्यधिक सम्मान; प्रेम है किसी को बेहद पसंद करना,  जिससे तुम प्रेम करते हो उसकी उपस्थिति में प्रेम विशुद्ध आनंद की प्रतीति.  प्रेम और क्या है  ? |लेकिन लोग वस्तुओं से प्रेम करते हैं. वे महद विकल्प हैं,  जिनसे एक गहरी जरूरत किसी तरह पूरी हो जाती है।


   ध्यान रहे,  पहली दुर्घटना तो यह है कि व्यक्ति का झुकाव मस्तिष्क की और होता है। दूसरी दुर्घटना यह है कि व्यक्ति प्रेम की आवश्यकताओं की पूर्ति वस्तुओं से करने लगता है। तब तुम रेगिस्तान में में खो जाते हो। तब तुम सागर तक कभी नहीं पहुंच पाओगे। तुम सुख कर वाष्पीभूत हो जाओगे। तुम्हारा संपूर्ण जीवन व्यर्थ हो जाएगा।


  जैसे ही तुम्हारे ध्यान में आए कि यह हो रहा है,  तुम तत्काल जाग जाओ,  ज्वार का रुख मोड़ दो,  पुन: इसे ह्रदय से जोड़ने का पूरा प्रयास करो। समाज ने तुम्हारे साथ जो किया है,  उससे मुक्त होने के लिए ह्रदय से संपर्क करो।  जो मूर्खतापूर्ण कृत्य तुम्हारे शुभचिंतकों ने तुम्हारे साथ किया है उसका प्रभाव मिटाने के लिए ह्रदय से जुड़ो.  शायद वे यह सोचते होंगे कि तुम्हारी सहायता कर रहे हैं, उन्होंने तुम्हें जान - बुझ कर बरबाद न किया हो,  वे स्वंय के माता - पिता और अपने समाज के साए हुए हो सकते हैं,  मैं उनके विरोध में कुछ  नहीं कह रहा हूं। उनके लिए बड़ी करुणा की आवश्यकता है।


  गुरजिएफ अपने शिष्यों से कहा करता थाकि कोई व्यक्ति धार्मिक तभी हो सकता है जब वह अपने माता - पिता को क्षमा कर सके.  क्षमा?  हां,  ऐसी ही बात है.  वह बहुत ही कठिन है,  माता - पिता क्षमा करना लगभग असंभव है,  क्योंकि उन्होंने तुम्हारे लिए बहुत कुछ किया होता है  - - निश्चित अनजाने में,  अचेतनता में  - - फिर भी उन्होंने किया तो है। 


   उन्होंने तुम्हारे प्रेम को नष्ट क्या है और उन्होंने तुम्हें मुर्दा तर्क दे दिया है. उन्होंने तुम्हारी बुध्दि को नष्ट किया है और उन्होंने उसकी जगह तर्क - बुध्दि थमा दी है.  उन्होंने जीवन और जीवंतता को नष्ट किया है और तुम्हें एक बंधा हुआ ढांचा दिया है,  जीने भर की एक योजना.  उन्होंने तुम्हारी दिशा को नष्ट कर दिया है,  और तुम्हें एक मंजिल दे दी है.  उन्होंने तुम्हारे उत्सव को नष्ट किया है और तुम्हें बाजार की एक वस्तु बना दिया है.  उन्हें क्षमा करना बहुत कठिन है,  इसलिए सारी पुरानी परंपराओं में यही कहा जाता है कि अपने माता - पिता का आदर करो.  


उन्हें क्षमा करना कठिन है,  उनका आदर करना भी कठिन है.  मगर यदि तुम उन्हें समझाोगे तो तुम क्षमा कर दोगे.  तुम सूली पर लटके हुए जीसस की तरह ही रहेगा,  ' उन्हें क्षमा कर दो,  क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या करते हैं. ' हां,  यही है उनके शब्द.  और हर कोई सूली पर है - - और क्रॉस को तुम्हारे शत्रुओं नहीं बनाया है,  बल्कि तुम्हारे माता - पिता ने बनाया है,  तुम्हारे समाज ने बनाया है  - - 7और हर कोई सूली पर चढ़ा हुआ है. 


  मस्तिष्क का इतना अधिक प्रभाव रहा है कि अपने ह्रदय को चुप रहने पर विवश किया है.  तुम्हें पुन: ह्रदय की सुननी होगी.  तुम्हें तर्क को थोड़ा छोड़ देना होगा.  तुम्हें थोड़े जोखिम उठाने पड़ेगे.  तुम्हें खतरों में जीना होगा.  तुम्हें किसी के ऊपर आधिपत्य न रखने के लिए तैयार रहना होगा. क्योंकि जिस क्षण तुम आधिपत्य जमाते हो उस समय व्यक्ति वहां नहीं होता.  किसी वस्तु पर ही आधिपत्य रखा जा सकता है. 


  इसे जितना हो सके गहराई से समझने का प्रयत्न करो.  जिस क्षण तुम्हें किसी से प्रेम हो जाता है,  तो तुरंत ही तुम्हारे पूरे संस्कार उस व्यक्ति के ऊपर मालकियत करने का प्रयत्न करने लगते हैं.  जब भी तुम मालकियत करने की कोशिश करने लगते हो तुम प्रेम को मारते जाते हो.  या को तुम व्यक्ति को मुट्ठी में ले सकते हो या उसे प्रेम कर सकते हो, दोनों एक साथ संभव नहीं होते. ...


*✒️ ओशो*

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