रविवार, 13 मार्च 2022

साहित्योदय के संग होली के रंग


अखंड काव्यार्चन और काव्यारुण पुस्तकों का विमोचन और लोकार्पण

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आज रांची हटिया के ग्रीन गार्डेन के सभागार में *साहित्योदय* की ओर से *होली के रंग साहित्योदय के संग* का शानदार कार्यक्रम हुआ। वरिष्ठ साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी और सारिका भूषण की उपस्थिति में दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और गणेश वंदना से की गयी। साहित्योदय की रांची प्रभारी डाॅ रजनी शर्मा चंदा ने मां शारदे की वंदना गाकर वातावरण भक्तिमय बना दिया। सरोज गर्ग ने अशोक प्रियदर्शी को बुके देकर स्वागत किया। बिंदु प्रसाद ने सारिका भूषण का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया।

सदानंद सिंह ने साहित्योदय के  संस्थापक पंकज भूषण का अभिनंदन किया। आशुतोष प्रसाद ने प्रबंध निदेशक को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।


मंच का संचालन डा रजनी शर्मा चंदा और मुनमुन डाली ने किया। स्वागत संबोधन पंकज प्रियम द्वारा किया गया। इस अवसर पर दो पुस्तकों का (अखंड काव्यार्चन और काव्यारुण नामक) विमोचन किया गया।काव्यार्चन में राम पर आधारित रचनाएं हैं काव्यारुण पुस्तक विभा वर्मा की कविताओं का एकल संग्रह है। विभा वर्मा और उनके पति अरुण वर्मा ने सभागार कक्ष में इससे संबंधित अपनी बातें रखी।

इस अवसर पर अखंड काव्यार्चन में शामिल रचनाकारों को  *गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स* प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। पुस्तक के साथ साथ साहित्योदय सहित अन्य काव्य मंचों पर महिला रचनाकारों की बढ़ती सक्रियता पर सारिका भूषण ने

"तुम्हारी सीमाएं " नारियों के संदर्भ में नारी मन पर अपनी गूढ़ बातें रखीं। रंजना वर्मा और लोकगायक सदानंद सिंह यादव ने भी आज के पुस्तक विमोचन और साहित्योदय के होली आयोजन पर अपनी बातें रखी। 

*खनके-खनके कंगनवा अंगनवां में* ,

*मोरा पिया न आए फगुनवा में* ....


* मधुर लोकगीत गाकर सबको मंत्रमुग्ध किया ।


*लाल पियर रंग रखल बा भवनवा में*,

*आव आव लगाव रंग बदनवा में* ।


गीत गाकर ग्रीन गार्डेन के सभागार में साहित्योदय के प्रबंध निदेशक *संजय करुणेश* ने भी होली पर अपनी रचना सुनायी।


    सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक प्रियदर्शी ने पुस्तक *काव्यारुण* पर चुटकी लेते हुए कहा कि दरअसल इस पुस्तक का नाम *विभारुण* होना चाहिए था।साहित्योदय के दिन ब दिन प्रगति करने और संस्थापक पंकज प्रियम की लगनशीलता की तारीफ की।

 यह भी कहा कि महिला रचनाकारों की लेखन प्रगति में कितनी बाधाएं हैं। इसे समझने की जरुरत है।  साहित्योदय जैसे किसी साहित्यिक कार्यक्रम में इतनी सारी महिलाओं की उपस्थिति भी आज के दौर में बहुत बड़ी बात है।

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