मंगलवार, 15 मार्च 2022

प्रेम और अहंकार / ओशो

 काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, प्रेम, अहंकार आदि सभी भावनाएं एक साथ एक द्वीप पर रहती थी । एक दिन समुद्र में एक तूफान आया और द्वीप डूबने लगा हर भावना डर गई और अपने अपने बचाव का रास्ता ढूंढने लगी । लेकिन प्रेम ने सभी को बचाने के लिए एक नाव बनायी सभी भावनाओं ने प्रेम का आभार जताते हुए शीघ्रातिशीघ्र नाव में बैठने का प्रयास किया प्रेम ने अपनी मीठी नज़र से सभी को देखा कोई छूट न जाये । सभी भावनाएँ तो नाव मे सवार थी लेकिन अहंकार कहीं नज़र नहीं आया प्रेम ने खोजा तो पाया कि, अहंकार नीचे ही था... नीचे जाकर प्रेम ने अहंकार को ऊपर लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन अहंकार नहीं माना ।


ऊपर सभी भावनाएं प्रेम को पुकार रहीं थी,"जल्दी आओ प्रेम तूफान तेज़ हो रहा है, यह द्वीप तो निश्चय ही डूबेगा और इसके साथ साथ हम सभी की भी यंही जल समाधि बन जाएगी । प्लीज़ जल्दी करो" प्रेम ने कहा "अरे अहंकार को लाने की कोशिश कर रहा हूँ यदि तूफान तेज़ हो जाय तो तुम सभी निकल लेना । मैं तो अहंकार को लेकर ही निकलूँगा" प्रेम ने नीचे से ही जवाब दिया और फिर से अहंकार को मनाने की कोशिश करने लगा लेकिन अहंकार कब मानने वाला था यहां तक कि वह अपनी जगह से हिला ही नहीं ।


अब सभी भावनाओं ने एक बार फिर प्रेम को समझाया कि अहंकार को जाने दो क्योंकि वह सदा से जिद्दी रहा है लेकिन प्रेम ने आशा जताई,बोला, "मैं अहंकार को समझाकर राजी कर लूंगा तभी आऊगा । तभी अचानक तूफान तेज हो गया और नाव आगे बढ़ गई अन्य सभी भावनाएं तो जीवित रह गईं, लेकिन...अन्त में उस अहंकार के कारण प्रेम मर गया, अहंकार के चलते हमेशा प्रेम का ही अंत होता है । इसलिए ये सत्य बात है कि प्रेम से सबकुछ संभव हैं । हमेशा ध्यान रखो की अहंकार का त्याग करते हुए प्रेम को अपने से एक पल के लिए भी जुदा न होने दें ।


ओशो नमन 🌹🌹🙏🙏🌺🌺

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )

 14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद  साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...