शुक्रवार, 18 मार्च 2022

हलधर नाग

 


इतना ही नहीं 5 शोधार्थी अब उनके साहित्य पर PHd कर रहे हैं जबकि स्वयं हलधर तीसरी कक्षा तक पढे है ।

हलधर नाग (जन्म : १९५० ) ओड़ीसा के कोसली भाषा के कवि एवम लेखक हैं। वे 'लोककवि रत्न' के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनके बारे में विशेष बात यह है कि उन्हें अपनी लिखी सारी कविताएँ और 20 महाकाव्य कण्ठस्थ हैं। भारत सरकार द्वारा उन्हें २०१६ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

हलधर नाग
The President, Shri Pranab Mukherjee presenting the Padma Shri Award to Shri Haladhar Nag, at a Civil Investiture Ceremony, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on March 28, 2016.jpg
हलधर नाग, भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी से पद्मश्री प्राप्त करते हुए।
जन्म31 मार्च 1950 (आयु 71)
घेन्स,, बरगढ़ओड़ीसाभारत
व्यवसायकवि, सामाजिक कार्यकर्ता
राष्ट्रीयताभारतीय
शिक्षातीसरी कक्षा उतीर्ण
उल्लेखनीय सम्मानपद्मश्री[1]
जीवनसाथीमालती नाग
सन्तान1 पुत्री

हलधर ने कभी किसी भी तरह का जूता या चप्पल नहीं पहना है। वे बस एक धोती और बनियान पहनते हैं। वो कहते हैं कि इन कपड़ो में वो अच्छा और खुला महसूस करते हैं।

हलधर का जन्म 1950 में ओडिशा के बरगढ़ में एक गरीब परिवार में हुआ था। जब वे १० वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु के साथ हलधर का संघर्ष शुरू हो गया। तब उन्हें मजबूरी में तीसरी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। घर की अत्यन्त विपन्न स्थिति के कारण मिठाई की दुकान में बर्तन धोने पड़े। दो साल के बाद गाँव के सरपंच ने हलधर को पास ही के एक स्कूल में खाना पकाने के लिए नियुक्त कर लिया जहां उन्होंने 16 वर्ष तक काम किया। जब उन्हें लगा कि उनके गाँव में बहुत सारे विद्यालय खुल रहे हैं तो उन्होंने एक बैंक से सम्पर्क किया और स्कूली बच्चों के लिए स्टेशनरी और खाने-पीने की एक छोटी सी दुकान शुरू करने के लिए 1000 रुपये का ऋण लिया।

1990 में हलधर ने पहली कविता "धोधो बारगाजी" (अर्थ : 'पुराना बरगद') नाम से लिखी जिसे एक स्थानीय पत्रिका ने छापा और उसके बाद हलधर की सभी कविताओं को पत्रिका में जगह मिलती रही और वे आस-पास के गाँवों से भी कविता सुनाने के लिए बुलाए जाने लगे। लोगों को हलधर की कविताएँ इतनी पसन्द आई कि वो उन्हें "लोक कविरत्न" के नाम से बुलाने लगे।

इन्हे 2016 में भारत के राष्ट्रपति के द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किय गया।

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