गुरुवार, 18 अगस्त 2022

एक झंडा ले लो"""/ सीमा "मधुरिमा"



साहब एक झंडा ले लो  ,


कहता जा रहा था वह

साहब ने कहा , 

हम क्या करेंगे झंडे का

घर में छोटे बच्चे भी नहीं ,

साहब , आपकी इतनी बड़ी गाड़ी है ,

ये अपने देश का झंडा , उसकी शोभा बढायेगा ,

मात्र दो रूपये का ही तो है ,

साहब ले लो न ----

साहब ने उसे तरेरती निगाहों से देखा ,

बच्चा सहम के पीछे हट गया ,

साहब आगे बढ़ गये ,

आगे साहब ने एक पान की दूकान से 

पैक करवाया कुछ पान ,

छुट्टे नहीं थे दस रूपये टिप में दिए ,

साहब आगे बढ़े , एक होटल से बिरयानी लिया

यहाँ भी वेटर को पचास रूपये टिप में दिए ,

साहब आगे बढ़ गये , पहुंचे अपने घर----

कुछ लोग जहां पहले से साहब का इन्तजार रहे थे कर ---

जो थे आस पास के लोग , जो आये थे देने बधाई

सबने मिल खायी स्वतंत्रता दिवस की मिठाई ---

लिया सबने विदा , बोले हम हैं अपने देश पर फ़िदा !!!


सीमा "मधुरिमा"

लखनऊ !!!

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