साहब एक झंडा ले लो ,
कहता जा रहा था वह
साहब ने कहा ,
हम क्या करेंगे झंडे का
घर में छोटे बच्चे भी नहीं ,
साहब , आपकी इतनी बड़ी गाड़ी है ,
ये अपने देश का झंडा , उसकी शोभा बढायेगा ,
मात्र दो रूपये का ही तो है ,
साहब ले लो न ----
साहब ने उसे तरेरती निगाहों से देखा ,
बच्चा सहम के पीछे हट गया ,
साहब आगे बढ़ गये ,
आगे साहब ने एक पान की दूकान से
पैक करवाया कुछ पान ,
छुट्टे नहीं थे दस रूपये टिप में दिए ,
साहब आगे बढ़े , एक होटल से बिरयानी लिया
यहाँ भी वेटर को पचास रूपये टिप में दिए ,
साहब आगे बढ़ गये , पहुंचे अपने घर----
कुछ लोग जहां पहले से साहब का इन्तजार रहे थे कर ---
जो थे आस पास के लोग , जो आये थे देने बधाई
सबने मिल खायी स्वतंत्रता दिवस की मिठाई ---
लिया सबने विदा , बोले हम हैं अपने देश पर फ़िदा !!!
सीमा "मधुरिमा"
लखनऊ !!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें