आईना
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आज की कविता
वरिष्ठ नवगीतकार सुधांशु उपाध्याय जी के साथ दिल्ली के धीरपुर स्थित आकाशवाणी के हास्टल के बाहर सड़क के किनारे नीम के पेड़ के नीचे चाय-पान की दुकान चलाने वाली महिला की स्थिति को देखकर उपजी दिल्ली की व्यवस्था पर एक कविता / सन् 2007 में प्रकाशित कविता संग्रह 'कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी' से। ( 23 अगस्त 2022)
धीरपुर की पानवाली
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धीरपुर की पानवाली ने
दिल्ली का सूत्र खोला
मुस्कुराकर नजर नीची की
चाय-पान में आत्मीयता का रस घोला,
इलाहाबाद को एक क्षण के लिए जीया
मानो त्रिवेणी के जल को
माथे लगाकर पीया,
अपनी छोटी-सी दुकान पर
हुए इस संगम को
कोलकाता से दिल्ली आकर
बसने की कथा से जोड़ कर सीया,
काली मंदिर के पीछे किराये का मकान
सामने बिना छप्पर की दुकान,
पति को इलाज के लिए
दिल्ली लेकर आयी
फिर घर नहीं लौट पायी,
किराया मकान का चार सौ
मेहमान के आने पर
दस रुपये रोज और देना है,
इसी दुकान से परिवार की
नैया खेना है,
सड़क के किनारे के
मिजाज का क्या कहना
बदलता रहता है
सरकारी बुलडोजर
यहाँ अक्सर चलता रहता है,
अग्निपाखी-सी जली है वह
पूर्णमासी के चाँद-सा ढली है वह,
सड़क के किनारे पेड़ के नीचे
उबलती चाय की भाप से
अपने को बचाती है
हाथ जलने पर भी
मुस्कुराती है,
पान का वीणा ऐसे थमाया
मानो मेहमान अपने गाँव का हो आया,
कुछ कहा कुछ रह गया अनकहा,
लोग चाय पीते हैं
पान खाते हैं
सुर्ती दाँत के नीचे दबाते हैं
रास्ता पूछते हैं
आगे निकल जाते हैं,
भागते शहर में
रुकी है वह
चाय की भाप पर
झुकी है वह।
--भोलानाथ कुशवाहा
मिर्जापुर (उ.प्र.)
मो- 9335466414, 9453764968
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