बुधवार, 17 अगस्त 2022

क्योंकि मैं लिखता हूँ..../ पवन तिवारी

 मित्रो हर लेखक और कवि को पता होना चाहिए कि वो वास्तव में क्यों लिखता है। उसी तरह यह मेरी कविता मेरे लेखन का घोषणा पत्र है। आप इसे पढ़ने के साथ यूट्यूब पर मुझे इसका वाचन करते हुए सुन भी सकते हैं। यदि मेरा यह घोषणा पत्र सच्चा लगे तो टिप्पणी करें और साझा भी करें।धन्यवाद 👏💐


शीर्षक- क्योंकि मैं लिखता हूँ.....


मर गया होता शायद

न लिखता तो !

गमों के साथ में 

गल गया होता,

घेरे रहती उदासियां 

अक्सर,

इन उदासियों के तले 

दबकर मर गया होता, 

न लिखता तो! 

क्यों जानते हो ?

मैं जिंदा क्यों हूँ ?

मैं लिखता क्यों हूँ?

जानते हो! 

मेरे लिए बचा ही नहीं 

कोई रास्ता! 

मैं लिखता हूँ; 

जिंदा रहने के लिए !

मैं जिंदा हूँ,

इसलिए भी लिखता हूँ.

तुम मेरी अभिव्यक्ति पर 

ठहाके लगाकर 

हँस सकते हो,

अट्टहास के साथ 

उड़ा सकते हो, 

मेरा उपहास !

पर इससे भी नहीं बदल सकता 

मेरा देखा, भोगा और 

क्षण क्षण जिया हुआ सत्य! 

जब कभी तुम 

सभी अपेक्षाओं द्वारा 

जाओगे छले;

सभी संबंधों, 

विश्वासों द्वारा जाओगे ठगे !

शायद तब तुम्हें 

मेरी ये अभिव्यक्ति कचोटे.

और तुम कर लो आत्महत्या !

एक कायर की भाँति।

क्योंकि तुम लिख नहीं सकते!

हाँ, यदि तुम लिखना सीख जाओ तो, 

बच सकते हो;

कायरों की तरह मरने से।

क्योंकि लेखन आप को कायर नहीं 

संघर्ष करना सिखाता है।

अपने को शब्दों में 

व्यक्त करने का 

एक नया ब्रश, एक नयी छीनी

एक नई कला देता है ।

मेरी जिंदगी और मौत के बीच 

अगर कोई खड़ा है तो,

मात्र मेरा लेखन ही है! 

ना होता तो,

कोई उद्देश्य या बहाना ही 

न बचता जीने का; 

बिना उद्देश्य के जीना 

मरना ही तो है।

 या उससे भी बदतर,

जैसे खाली मकान धीरे-धीरे 

खंडहर हो जाता है।

खंडहर होना मरना ही तो है! 

मैं खंडहर नहीं होना चाहता, 

मैं जिंदा हूँ और रहूँगा,

क्योंकि मैं लिखता हूँ।


पवन तिवारी

सम्वाद- 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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