बुधवार, 24 अगस्त 2022

रसखान / उमा शंकर परमार

 🥎 *रसखान पठान थे। उनके पूर्वज अफगानिस्तान से भारत आए थे। रसखान का कृष्ण प्रेम उनके लौकिक प्रेम का आध्यात्मिक रूपान्तरण था।*

● आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने इतिहास में लिखा है कि रसखान एक सुन्दर लड़के पर फिदा थे। एक दिन उस लडके ने कहा कि सबसे सुन्दर तो कृष्ण हैं, उनसे जाकर मिलो, मथुरा में मिलेगें। तो रसखान मथुरा चले आए। सबसे पूछते कि कृष्ण कहाँ मिलेगा, तो लोगो ने कहा कि तपस्या करो, उनसे प्रेम करो, तभी मिलेंगे। 

● कहते हैं उस समय के श्रीनाथ मन्दिर में उन्होने अपना अड्डा जमाया और कृष्ण की भक्ति में लीन हो गये। 

● यह वही श्रीनाथ मन्दिर है, जिसमे सूरदास भी आश्रय पाये थे। स्वामी हरिदास यहाँ रहे, परमानन्द दास भी यहीं रहते थे। यहाँ के महन्त कृष्णदास थे, जो तुनक मिजाज थे, मगर कृष्ण के भक्त थे।

● वहीं रसखान को कृष्ण जी का 'स्वप्न दर्शन'  हुआ और वो दीवाने होकर पूरे बृजमण्डल में घूमते रहे .... 

● भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द ने रसखान के बारे में कहा था~  *"ऐसे मुसलमानन में कोटिन हिन्दू वारिये"~ अर्थात रसखान जैसे मुसलमानों पर करोडों हिन्दू न्यौक्षावर ...*

● *उमाशंकर सिंह परमार*

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