बुधवार, 31 मार्च 2021

सोनल 1975

 " सोनल (1973)" -भूली बिसरी/ अनजानी सी फिल्म


कई ऐसी फिल्म्स बनती है, तैयार होकर बाजार में आ जाती हैं , फ़िल्म वितरण संस्थाएं प्रदर्शन हेतु क्रय कर लेती है । किन्तु थिएटर में प्रदर्शित न हो पाती है ।

चाहे कितनी भी प्रतिष्ठित वितरण संस्था क्यों न हो ,फ़िल्म प्रदर्शक अपने आर्थिक व थिएटर की प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखता है ।सम्मानीय फ़िल्म प्रदर्शक तो क्या रिपीट रन फ़िल्म प्रदर्शित करने वाले सिनेमा हॉल के प्रबंधक भी इन्हें डेट्स नहीं देते ।

सो दर्शक वंचित रह जाते हैं इन फिल्मों को देखने से ।

ऐसी ही फिल्मों में मेरी स्मृति में बासु भट्टाचार्य की अपने निर्माण संस्था की पहली  फ़िल्म 'उसकी कहानी'('66) अभिनय किया अंजू महेंद्रू और तरुण घोष । इन दोनों कलाकारों की यह प्रथम कृति भी थी ।इस फ़िल्म में दो गीत थे संगीत कनु रॉय और गीत लिखे कैफ़ी आज़मी ।इसका गीता दत्त का गाया गीत  ' आज की काली घटा मस्त मतवाली घटा ', लोकप्रिय हुआ मित्रों ने अवश्य सुना होगा।

किशोर साहू की फ़िल्म धुएं की लकीर('74) जो परवीन बॉबी की पहली फ़िल्म थी और नितिन मुकेश व वाणी जयराम की आवाज़ वाला मधुर गीत 'तेरी झील सी गहरी आंखों में' बहुत बजा ,  फ़िल्म सोनल('73) भी इसी श्रेणी में रहीं।

इसके अलावा कई चलचित्र हैं ही ।


आज मित्रों के साथ अनजानी सी फ़िल्म 'सोनल' की चर्चा । यह फ़िल्म वर्ष 1973 में प्रदर्शित हुई ।

ए के प्रोडक्शन की इस फ़िल्म के निर्माता अमृत शाह व कांति पटेल ।निर्देशक प्रभात मुखर्जी।

अभिनय किया मल्लिका साराभाई, जतीन, इफ्तिखार, जागीरदार,गुरनाम और सोना ।


विशेष बात है कि महान गायक 

मन्ना डे ने इसका संगीत तैयार किया ।पूर्व में श्री गणेश जन्म('51),चमकी

('52), शुक रंभा('53),गौरी पूजा('56),नाग चंपा('58) जैसी फिल्मों में संगीत दे चुके थे ।इस फ़िल्म में मन्ना डे ने एक लंबे अंतराल पश्चात संगीत दिया ।संगीत भी पिछली फिल्मों में दिए गए संगीत से अलग । नए युग की पहचान वाला ।

फ़िल्म में चार गीत हैं ।आवाजें हैं स्वयं मन्ना डे के अलावा लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर व उषा रेगे की। गीत योगेश के ।

फ़िल्म में आधुनिक संगीत का प्रयोग  किया।

लाता मंगेशकर की आवाज़ में ताज़गी भरा गीत'ये महका मौसम और ये तन्हाई' की लय में आकर्षण है । अपने समय ये गीत रेडियो में बजा भी । 'हल्का हल्का छलका छलका' (लता) में गिटार की कॉर्ड्स(Chords) व बांसुरी का प्रयोग किया, जो गीत को गुनगुनाने, के लिए मजबूर कर देता है। दो और गीत भी हैं जो साधारण हैं। गीतों पर सलिल चौधरी की शैली का प्रभाव स्पष्ट झलकता है । 

सभी गीत यूट्यूब पर उपलब्ध है, कम से कम आज के उबाऊ गीतों से ठीक ही नहीं सुपीरियर हैं ।

निर्देशन प्रभात मुख़र्जी बांग्ला फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक रहे ।हिंदी में उनके द्वारा निर्देशित फिल्म रत्नदीप(1979) उल्लेखनीय रही जिनमें अभिनय किया हेमा मालिनी, गिरीश कर्नाड में ।

शास्त्रीय नृत्यांगना व पद्मविभूषण प्राप्त मल्लिका साराभाई की यह प्रथम फ़िल्म थी ।इसके पश्चात हिमालय से ऊंचा('86) और शीशा ('86) में भी मुख्य अभिनेत्री रहीं ।


कई गीत मधुर होने के बाद भी लोकप्रिय न हो पाते हैं । शायद संगीत कम्पनियों द्वारा समुचित प्रोत्साहन न मिलना भी कारण रहता हो। इस फ़िल्म के साथ भी ऐसा ही हुआ ।

खैर कोई भी कारण रहे हो किन्तु यदि इन गीतों को फुरसत में सुना जाए तो आनंद देंगे ।

फ़िल्म की बुकलेट स्कैन कर लगा रहा हूँ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...