शुक्रवार, 19 मार्च 2021

भारत यायावर की पुस्तक सुनो मैं समय हूँ का लोकार्पण / कृष्ण किसलय

 भारत यायावार की साहित्यग्राम यात्रा, ‘सुनो मैं समय हूं’ का विमोचन


बिहार के सबसे समर्थवान कथाशिल्पियों में थे रेणु : यायावर


डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-निशान्त राज। फणीश्वरनाथ रेणु संपूर्ण हिन्दी साहित्य में आंचलिकता में राष्ट्रीयता और वैश्विकता के सबसे समर्थवान कथाशिल्पियों में एक हैं। प्रेमचंद के जमाने में हिन्दी की उपन्यास विधा बदलाव का साहित्यिक औजार बनी थी। रेणु ने प्रेमचंद की उस यथार्थवादी परंपरा को अपने समय की प्रामाणिकता से महाकाव्यात्मक लय की नई ऊंचाई के साथ लैस किया। उनकी रचनाओं में तुरंत स्वतंत्र हुए भारत के तत्कालीन समय के जातिवाद, अफरशाही, राजनीतिक अवसरवाद, मठ-आश्रम के पाखंड आदि का चित्रण पूरी मानवीय संवेदना के साथ अभिव्यक्त हुआ है। रेणु सही अर्थ में बिहार की धरती पर पैदा हुए एक युगद्रष्टा साहित्यकार थे। यह विचार रेणु की जीवनी और साहित्य पर खोजपूर्ण अग्रणी कार्य करने वाले हजाराबीग के प्रो. भारत यायावर ने व्यक्त किए। भारत यायावर की साहित्यकार ग्राम परिपथ यात्रा के क्रम में बिहार के रोहतास जिला के डेहरी-आन-सोन में वरिष्ठ कवि कुमार बिन्दु और युवा पत्रकार गोविन्दा मिश्रा के संयोजन में लघु विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया। हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार समालोचक गणेशचंद्र राही ने रेणु के उपन्यासों-कहानियों के पात्रों पर नई दृष्टि सम्मत विचार रखते हुए कहा कि रेणु का रचना संसार विलक्षण है।


कहा कि ‘सुनो मैं समय हूं’ महत्वपूर्ण उल्लेखनीय कृति


इस संगोष्ठी में प्रो. भारत यायावर ने वरिष्ठ विज्ञान लेखक-संपादक कृष्ण किसलय की नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया द्वारा प्रकाशित विज्ञान के इतिहास और हिन्दी में अपनी विषय-वस्तु की प्रथम पुस्तक ‘सुनो मैं समय हूं’ के सद्य प्रकाशित तीसरे संस्करण (आवृति) का विमोचन किया। कहा कि कृष्ण किसलय की पुस्तक ‘सुनो मैं समय हूं’ हिन्दी में एक अलग विशिष्ट विधा की निसंदेह महत्वपूर्ण उल्लेखनीय कृति है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. प्रदीप दुबे ने की। संगोष्ठी में डेहरी-आन-सोन के साहित्यकारों, पत्रकारों, साहित्यसेवियों कृष्ण किसलय, उपेन्द्र मिश्र, कुमार बिन्दु, मिथिलेश दीपक, संजय सिंह बाला, सुरेंद्र तिवारी, अवधेश कुमार सिंह, उमाशंकर पांडेय, अजय कुमार, मदन कुमार, रामअवतार चौधरी, निशान्त राज, गोविंदा मिश्रा आदि ने रेणु के साहित्य और रचना संसार पर अपनी-अपनी बातें रखीं। संगोष्ठी के आरंभ में उपेन्द्र मिश्र ने आगतों का स्वागत किया, कृष्ण किसलय ने संचालन किया और अंत में कुमार बिन्दु ने धन्यवाद-ज्ञापन किया। भारत यायावार डेहरी-आन-सोन में रात्रि विश्राम के बाद बिहार के 20वीं सदी के शीर्ष साहित्यकारों में से एक आचार्य शिवपूजन सहाय के गांव की यात्रा पर निकल गए।

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1. कृष्ण किसलय की पुस्तक 'सुनो मैं समय हूं' के तीसरे संस्करण का विमोचन करते प्रो. भारत यायावर, 2. विचार गोष्ठी में शामिल शहर के साहित्यसेवी नागरिक, 3. गणेशचंद्र राही को भी पुस्तक भेंट।


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