भारतीय फिल्मों की पहली स्टंट नायिका
मेरी एन इवांस उर्फ मेरी इवांस वाडिया उर्फ नाडिया का जन्म पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ८ जनवरी १९०८ को हुआ था। वह मार्गरेट व स्कॉटलैंड के मूल निवासी हर्बट इवांस की बेटी थी। हर्बट ब्रिटिश सेना में एक स्वयंसेवक थे और भारत आने के पहले वे ऑस्ट्रेलिया में रहते थे। मेरी महज एक एक वर्ष की थीं जब उनके पिता के रेजिमेंट की बॉम्बे के लिये बदली कर दी गई। इस तरह मेरी १९१३ में पांच साल की उम्र में अपने पिता के साथ बॉम्बे चली आईं।
१९१५ में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनों के हाथों उनके पिता की मृत्यु के बाद उनका परिवार पेशावर (पाकिस्तान) में जा बसा। वहाँ उन्होंने घुड़सवारी, शिकार, मछली पकड़ना और निशाना लगाना सीखा। १९२८ में मेरी अपनी मां और भाई रॉबर्ट जोन्स, जिनके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है के साथ बॉम्बे लौट आईं और यहाँ मैडम एस्ट्रोवा से बैले नृत्य सीखा।
एस्ट्रोवा की मंडली ब्रिटिश सैनिकों के लिये सैन्य ठिकानों पर और भारतीय राजघरानों और आम लोगों के लिये धूल भरे छोटे कस्बों और गांवों में प्रदर्शन करती फिरती। यहीं उन्होंने गुलाटी मारना जैसे करतबों में महारत हासिल की, जो बाद में फिल्म के स्टंट करने में बेहद काम आये।
फिल्मों से उनका परिचय वाडिया मूविटोन के जे.बी.एच (जमशेद) वाडिया ने कराया। अविश्वास के बावजूद जमशेद ने नाडिया को देश दीपक और नूर-ए-यमन जैसी फिल्मों में छोटी मोटी भुमिकायें दीं। इनमें प्रसिद्धि पाने पर और सर्कस मे उनके कार्यानुभव को देखते हुये, जमशेद और उनके भाई ने नाडिया को स्टार बनाने का फैसला लिया। १९३६ में फिल्म हंटरवाली आई जिसमें नायिका मास्क लगाकर और अपने घोड़े -जिसका नाम पंजाब का बेटा था- पर बैठकर हंटर के साथ इंसाफ करने के लिए निकल पड़ी थी। नाडिया ने तकरीबन 50 फिल्मों में काम किया जिसमें एक तरफ उसने ज़मींदारों के खिलाफ लड़ाई की तो दूसरी ओर औरतों की शिक्षा और आज़ादी की बात की. यह बात १९४० में आई फिल्म डायमंड क्वीन के एक डायलॉग ‘अगर हमें देश की आज़ादी चाहिए तो पहले देश की महिलाओं को आज़ाद करना होगा’ से समझी जा सकती है। १९६८ में नाडिया ने अपनी आखिरी फिल्म खिलाड़ी में काम किया।
इनकी प्रमुख फ़िल्में थीं "मिस फ्रंटियर मेल" "पंजाब मेल" "डायमंड क्वीन" "जंगल प्रिंसेस" "हंटरवाली की बेटी" "11'o क्लॉक" "हीरो ऑफ द फॉरेस्ट" और "जंगल क्वीन"।
नाडिया का विवाह होमी वाडिया से १९६१ में हुआ था। इनका निधन ९ जनवरी १९९६ को हुआ।
१९९३ में नाडिया के परपोते रियाद विंची वाडिया ने उनके जीवन और फिल्मों पर एक वृत्तचित्र "फीयरलेस द हंटरवाली स्टोरी" का निर्माण किया। इसे १९९३ के बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में देखकर डोरोथी वेनर नामक एक जर्मन स्वतंत्र लेखक ने "फियरलेस नाडिया : द ट्रू स्टोरी ऑफ बालिवुड्स ओरिजिनल स्टंट क्वीन" की रचना की, जिसका २००५ में अंग्रेजी में अनुवाद किया गया। माना जाता है विशाल भारद्वाज की हिंदी फिल्म रंगून नाडिया के जीवन और समय पर आधारित है, फिल्म में उनका किरदार कंगना राणावत ने निभाया।
स्त्रोत : गूगल
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