गुरुवार, 18 मार्च 2021

मनु लक्ष्मी मिश्र की नजर से

 एक दिन फोन की घंटी बजी, सुबह से घनघनाते हुए मोबाइल को देखने का भी मन नहीं कर रहा था, सभी कहते हैं कि सोते बैठते मोबाइल साइलेंट पर कर दिया करो पर आदत से मजबूर हूं लगता है कहीं कोई पेंशनर तो नहीं काल कर रहा हो। मोबाइल उठाते ही नवाजिश नवाजिश ,वंदन वंदन, शुभ शुभ अभिनंदन करने वाले, मूंछों में मुस्कुराते हुए Alok Yatree  भैया का नाम चमका ।

 भैया हैलो करते ही बोले मनु बहना आपको रविवार को "महफ़िल ए बारादरी " में शामिल रहना है। गाजियाबाद को साहित्यिक नगरी में अग्रणी करने में जी जान से लगी हुई Mala Kapoor  दीदी अपने विद्यालय सिल्वर लाइन प्रेस्टिजयस स्कूल में हर माह साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन करती हैं ।  प्रख्यात शायर गोविन्द Govind Gulshan और सर्वगुण संपन्न डॉ.माला कपूर दीदी के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम में लगभग चार घंटे से अधिक समय तक श्रोताओं ने गीत, ग़ज़ल और शेरो-शायरी का लुत्फ उठाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुविख्यात गीतकार  डॉ. सीता सागर ने की। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध शायरा रेणु हुसैन (पत्नी शाहनवाज़ हुसैन),विशिष्ट अतिथि आकांक्षा सिंह, यू पी एसआईडीसी की रीजनल चेयरपर्सन मेरी इलाहाबादी दीदू  स्मिता सिंह ,डॉ माला कपूर ,गोविंद गुलशन व मैं आपकी मनु मंचासीन थी ।संचालन खूबसूरत शायरा उर्वशी अग्रवाल "उर्वी" जी ने किया। Archana Sharma  मैडम, बहुत सुंदर शायरी करने वाले उत्कर्ष गाफिल जी, गाजियाबाद की आन बान और शान मासूम गाजियाबादी जी, प्यारी कीर्ति रत्न, आलोक यात्री, आशीष मित्तल, मेरी एक और खूबसूरत , दूर दूर तक मुशायरे में अपनी धाक जमाने वाली इलाहाबादी दीदी Taruna Misra  , पुलिस आई जी के पद से सेवानिवृत्त होने वाले शानदार शख्सियत VK Shekhar  सर, डॉ. संजय शर्मा, व्यंग्य के नामचीन हस्ताक्षर पर मर्मस्पर्शी कविता से मंत्रमुग्ध करने वाले Subhash Chander   डॉ. माला कपूर, स्मिता सिंह,रेणु हुसैन, सुरेन्द्र सिंघल, गोविन्द गुलशन व डॉ.सीता सागर ने गीत, ग़ज़ल और शेरो-शायरी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।अंत में छायाकार कुलदीप जी निस्वार्थ भाव से हर साहित्यिक गोष्ठी में फोटो खींचने के लिए शुक्रिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...