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इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है,
दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है.
बीते मंगलवार को चेन्नई का अधिकतम तापमान 41.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। चेन्नई के लिए यह अधिकतम तापमान ऑल टाइम रिकार्ड है। यानी जब से वेधशाला में तापमान के आंकड़े लिए जा रहे हैं, तब से लेकर आज तक मार्च के महीने का यह सबसे गर्म दिन था। इससे पहले वर्ष 29 मार्च 1953 को अधिकतम तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था, जो कि ऑल टाइम रिकार्ड था। चेन्नई जैसे तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने के बाद ही हीट वेब या लू की घोषणा की जा सकती है। जबकि, दिल्ली जैसे क्षेत्रों के लिए यह तापमान 40 डिग्री सेल्सियस है।
इससे पहले, सोमवार 29 मार्च के दिन राजधानी दिल्ली का अधिकतम तापमान 40.1 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। मार्च के महीने के लिए यह दूसरा ऑल टाइम रिकार्ड है। इससे पहले 1945 के 31 मार्च को अधिकतम तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। जो कि ऑल टाइम रिकार्ड है। राजधानी दिल्ली में फरवरी का पिछला महीना भी बेहद गर्म साबित हुआ था। फरवरी महीने का औसत तापमान 27.9 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। यह ऐतिहासिक तौर पर दूसरा सबसे गर्म फरवरी का महीना रहा है। इससे पहले वर्ष 2006 के फरवरी महीने का औसत अधिकतम तापमान 29.7 डिग्री सेल्सियस रहा था जो कि ऑलटाइम रिकार्ड है। जबकि, वर्ष 1960 के फरवरी महीने में भी औसत अधिकतम तापमान 27.9 डिग्री सेल्सियस रहा था।
दिल्ली में इस बार मार्च का महीना बीते 11 सालों में सबसे गर्म साबित हुआ है। मार्च के महीने का औसत अधिकतम तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस रहा। जो कि सामान्य से साढ़े तीन डिग्री ज्यादा है। इससे पहले वर्ष 2010 में औसत अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस रहा था। 29 मार्च का दिन सबसे ज्यादा गरम रहा। इस दिन अधिकतम तापमान सामान्य से आठ डिग्री ज्यादा रहा। होली का दिन होने के चलते लोग खुद को पानी से गीला करते रहे, नहीं तो उन्हें गर्मी का शायद ज्यादा अंदाजा होता।
भारतीय मौसम विभाग ने अगले तीन महीने का भी पूर्वानुमान जारी किया है। इसके मुताबिक अगले तीन महीने के दौरान जम्मू-कश्मीर को छोड़कर उत्तर भारत के पूरे क्षेत्र में तापमान सामान्य से ज्यादा रहेगा। खासतौर पर दिल्ली और हरियाणा में ज्यादा गर्मी रहेगी। यहां का सामान्य 0.62 डिग्री ज्यादा रहने के आसार हैं।
निश्चित तौर पर कुछ लोगों के लिए उपरोक्त सभी कुछ आंकड़े हैं। लेकिन, ज्यादातर लोगों को इन आंकड़ों की चुभन झेलनी पड़ रही है और झेलनी पड़ेगी। दुनिया भर में ही गर्मी में इजाफा हो रहा है। हिमपात और बरसात के दिन कम हो रहे हैं। ज्यादा पानी कम दिनों में बरस जा रहा है। जो कि अलग मुसीबत पैदा करता है। जबकि, गर्मी वाले दिनों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
अगले दस सालों में गर्मी और लू इस दुनिया की बहुत बड़ी समस्याओं में शामिल होने जा रही है। बहुत सारे देश जो लू यानी हीट वेब से नावाकिफ थे, अब वे इसका सामना करने लगे हैं।
इन सबका कारण क्या है। वही। सिर्फ एक। इंसान की लालच और हवस।
आप चाहें तो यहां पर इंसान की जगह पर कारपोरेट भी पढ़ सकते हैं...
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