बुधवार, 17 मार्च 2021

दीदार का दीदार

 अशोक कुमार नरगीस और  कवि राज दिलीप कुमार का  दीदार...!! 


फिल्म दीदार सन 1951 में रीलिज हुइ थी। वैसे तो दिलीप कुमार की हर फिल्म उतम होती ही हे लेकिन फिल्म  दीदार को देखकर   न सिर्फ दिलीप कुमार.. फिल्म के सभी कलाकार गायक  संगीतकार गीतकार सभी पर फक़ होता हे..! 


बहुत ही सुंदर बनी हे यह फिल्म दीदार..!! 


फिल्म  दीदार में अशोक कुमार नरगीस दिलीप कुमार निम्मी याकूब जैसे बड़े बड़े stars एक साथ थे.. समजो ना.. Multi star फिल्म बनाने का दौर फिल्म  दीदार से शुरू हुआ। महंमद रफी के गाये हुवे गीत..नौशाद का संगीत और दिलीप कुमार का अंधे प़ेमी का अभीनय से यह फिल्म यादगार बनी हे। 


फिल्म दीदार के डायरेक्टर हे नितीन बोस।


दिलीप कुमार की अपनी ही एक फिल्म गंगा जमुना का डायरेक्शन भी नितीन बोस ने ही किया था लेकिन कहते हे दिलीप कुमार को हर फिल्म में  डायरेकशन में टांग लगाने की आदत थी तो नितीन बोस ने फिल्म गंगा जमुना का डायरेकशन नाराज होकर छोड़ दिया था बाद में फिल्म गंगा जमुना का डायरेकशन दिलीप कुमार ने खुद किया था। 


फिल्म दीदार की कहानी कुछ एसी हे। 


नरगीस धनवान बाप की बेटी दिलीप कुमार गरीब माँ का बेटा। दोनों बचपन से ही एक दुसरे को चाहतेहै। नरगीस का अमीर बाप माँ बेटे को बेघर कर देता हे। माँ मर जाती हे। बसती वाले नन्हे दिलीप कुमार को आसरा देते हे और याकूब के घर  दिलीप कुमार बडे़ होते हे। याकूब की बहन निम्मी  दिलीप कुमार की सेवा करती हे उसे दिलीप कुमार से प़ेम हो जाता हे लेकिन दिलीप कुमार नरगीस को भुला नहीं शकते। 


नरगीस की सगाई आंखों के डोकटर अशोक कुमार से होती हे। दिलीप कुमार हारमोनियम पर गीत गाते फिरते हे तो उसकी मुलाकात डोकटर अशोक कुमार से होती हे। अशोक कुमार दिलीप कुमार की गायकी पर आफि़न हो जाते है। हिल स्टेशन पर नरगीस को बुला कर अशोक कुमार गीत गाते कवि राज दिलीप कुमार से उनकी मुलाकात कराते हे। डोकटर अशोक कुमार दिलीप कुमार की आंखों का ओपरेशन करते हे। दिलीप कुमार नरगीस को देखते हे।  लेकीन दिलीप कुमार के दर्द भरे गीतों सुनकर भी नरगीस को कूछ याद नहीं आता। अशोक कुमार के पीछे पागल नरगीस को देख कर दिलीप कुमार फिर से अपनी आंखें फोड़ कर  हंमेशा के लिए निम्मी के पास चले  जाते हे..!! 


फिल्म के कलाकारों में अशोक कुमार हमेशा की तरहा यहा भी  chain smoker  हे। अशोक कुमार आनंद और गुस्से का अभिनय भी  सिगरेट से  करवाते हे! 


निम्मी ने अपने फिलमी केरीयर में कुरबानी देने के रोल ही जयादा किये हे! निम्मी अभिनीत हर फिल्म में एक गीत  तो ऐसा होता ही हे... जैसे कि उसे छोड़ कर जाते हूवे हिरो के लिए दर्द भरा गीत गाती हूइ वह छोटी पहाडी पर चड  कर वहाँ से हिरो की कार जाती हुवे दिखाई दे..!! 


फिल्म में याकूब ने निम्मी के भाइ और दिलीप कुमार के पालक का रोल किया हे। 


छोटी नरगीस और दिलीप कुमार का रोल  तबस्सुम और बलराज सहानी के बेटे अजय सहानी ने किये हे। अजय सहानी ने बाद में अपना नाम परिक्षीत सहानी कर लिया था.


फिल्म के गीतों में बचपन के दिन भुला न देना.. चमन में रहके विराना. नजर फेरों ना हम से. ले जा मेरी दुआएँ. देख लिया में ने किसमत का तमाशा.. और महंमद रफी की आवाज में सोलो गीत हुवे हम जिनके लिए बरबाद.. नशिब दर पे तेरे आजमाने आया हूँ. .. काफी जाने पहेचाने है। 


फिल्म के सभी गीत आज 70 साल के बाद भी ever  green हे।


हम तो भाइ दिलीप कुमार साब के फेन हे..! हमने फिल्म दीदार कितनी बार देखी ये मत पुछना..!!


फिल्म दीदार शायद  आज से 71 साल पहले सन 1951 मे रिलीज हुआ थी...!!!

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