गुरुवार, 9 जुलाई 2020

मुबारक हो मुबारक हो




जन्मदिन की शुभकामनाएँ
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आम आदमी और उसके जीवन-संघर्ष को जिस व्यक्तित्व ने अपनी कहानियों का विषय बनाया, उस अप्रतिम रचनाकार को साहित्य-जगत में सम्मानपूर्वक श्री से.रा. यात्री के नाम से जाना जाता है।

यात्री जी का जन्म 10 जुलाई 1932 को सहारनपुर जनपद के ग्राम जड़ौदा पांडा में अपने फूफा के यहाँ हुआ था । बाद में उनके पिता मुज़फ़्फ़रनगर जनपद के किनौनी बरवाला गाँव में रहने लगे थे । वैसे यात्री जी की संपूर्ण शिक्षा खुर्जा में हुई,क्योंकि वह यहाँ अपने बड़े भाई के पास रहते थे । यहीं उन्होंने दो वर्षों तक अध्यापन कार्य किया । उनके लेखन की शुरुआत कविताओं से हुई । दो वर्षों तक उन्होंने बहुत कविताएँ लिखीं । तत्पश्चात् वह कहानी के क्षेत्र में आए ।

यात्री जी के 20 कहानी संग्रह, 35 उपन्यास, 2 व्यंग्य संग्रह, संस्मरणात्मक पुस्तक 'लौटना एक वाकिफ़ उम्र का' तथा 'विस्थापित' संपादित कथा-संग्रह है । 17 वर्षों तक उन्होंने 'वर्तमान साहित्य' पत्रिका का संपादन भी किया ।

अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों से सम्मानित
सुपरिचित उपन्यासकार, कथाकार एवं उद्भट विद्वान
श्रद्धेय श्री से.रा. यात्री जी को उनके दीर्घकालिक विपुल साहित्यिक अवदान के निमित्त सहारनपुर की अग्रणी साहित्यिक संस्था "समन्वय" ने वर्ष 2010 में उन्हें
'सारस्वत सम्मान' प्रदान कर अभिनंदित किया था ।

आज अपने जीवन के 88 वर्ष पूर्ण करने पर यात्री जी को 'समन्वय परिवार' की ओर से हार्दिक बधाई ।
अनंत मंगलकामनाएँ ।

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    -विनोद भृंग
उपाध्यक्ष 'समन्वय'
      सहारनपुर
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