इनका नाम बलजिंदर सिंह " जिन्दु " है यह लुधियाना के रहने वाले हैं अभी सात आठ दिन पहले यह महाशय एकाएक पंजाब मे एक चर्चित व्यक्ति बन गये जब इन्होंने अपनी एक फेसबुक लाइव पोस्ट से साधारण लोगों का ध्यान दवा व्यापार के काले रहस्यों के एक सनसनीखेज रहस्योद्घाटन से किया।
इन्होंने अपनी एक दवा की दुकान लुधियाना शहर मे कोई महीने डेढ महीने पहले खोली थी जिसका नाम उन्होंने ' गुरूनानक मोदीखाना' रखा है इस दवा की दुकान को खोलने का इनका उद्देश्य यह था कि इस महामारी के समय जब लोगों को दवाओं की नितांत आवश्यकता है और लोगों के पास रोजगार व्यवसाय के अवसर भी कम हो गये हैं लोग पैसे पैसे से मोहताज हैं उन्हें ऐसे समय मे कम से कम मूल्यों में दवाएं उपलब्ध कराई जाएँ। इस उपक्रम मे जंदू जी यह देखकर हैरान परेशान हो गये कि जिन दवाओं के मूल्य एमआरपी मे ₹ 120 हैं उनकी वास्तविक कीमत मात्र ₹ 10/ है और यही नहीं ऐसी बहुत सी दवाएं इस श्रेणी मे थी जिनका एमआरपी मुल्य उनके असल मूल्य से दस से पंद्रह गुणा से भी ज्यादा था।
अब इस गडबडझाले को जिंदू साहब फेसबुक के माध्यम से जनता के बीच ले आये। और उन्होंने अपनी दवा की दुकान पर वो सभी दवाओं को उसी मूल्य पर बेचना शुरू कर दिया जिस कीमत पर वो उन्हें मिलती हैं। कम मूल्य पर दवा मिलने से अब उनकी दुकान के आगे राशन की दुकान की तरह भीड लगने लग गई है और वो जनता को दवा उपलब्ध करा रहे हैं।
अब आपके प्रश्न "अगर लोगों को इतनी ही तकलीफ है, इस व्यवस्था से तो वे इसे बदलने के लिए कुछ करते क्यों नहीं?" की ओर आता हूँ।
अब आगे सुनिए जिंदू साहब के इस उपक्रम से पंजाब भर के कैमिस्टों की नींद उडी है वो जिंदू साहब पर तरह तरह के आरोप प्रत्यरोप लगा रहें हैं कोई उन्हें कह रहा है कि यह महत्वाकांक्षी व्यक्ति है इसने राजनीति में आना है कोई इन्हें अकालियों का तो कोई कांग्रेस का एजेंट बता रहा है। कई कैमिस्टों ने इनपर यह इल्जाम लगाए हैं कि जैनिरिक दवाएं को सस्ता बेचा जा रहा है जबकि एथिकल दवाएँ मंहगी आती हैं। कई डाक्टर भी इनके विरुद्ध हो गये हैं हालात यह बन गये हैं कि इन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इन सब हालातों के बीच जिंदू साहब डटे हैं उनका कहना है कि चाहे मुझे जेल मे डाल दो या किसी वित्तीय मामले मे फंसा दो मैं यह पुण्य सेवा बंद नहीं करूंगा हाँ, यदि कोई मेरे माथे मे गोली मारेगा तब यह बंद हो सकता है कि आमजन को सस्ती दवा ना मिल पाए।
अब यह वाकया केवल एक व्यक्ति की हिम्मत का है जो व्यवस्था बदलने की सोच रख रहा है यदि हम सारे ही ऐसी हिम्मत दिखायें तो क्या नहीं बदल सकता है।
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