मंगलवार, 19 अप्रैल 2022

सर से पानी गुजर रहा है"*/ अनंग

 *"सर से पानी गुजर रहा है"*


रोज  लूटने   को  तैयार।

कितना है बेदर्द बाजार।।


दाम देखकर हर चीजों का।

रोता  है  मन जार - बेजार।।


कैसे आज बचाएं इज्जत।

महंगाई ने  किया  बीमार।।


झूठ  और  बोलेगा  कितना।

केवल धनिकों की सरकार।।


रहा घाट का ना वह घर का।

मध्यम - वर्ग  हुआ  लाचार।।


मिर्च - मसाला  ढूंढ  रहें हैं।

चैनल , चापलूस अखबार।।


डिग्री  लेकर  घूम  रहे  हैं।

युवाओं  की बड़ी कतार।।


नौजवान ,  बूढ़े ,  बच्चों   का।

छीन लिया किसने अधिकार।।


सी-सी कर कब तक ढक लेंगे।

देह   और   अपना  घर   द्वार।।


खून चूस कर गरज रहे हैं।

भोली जनता का हर बार।।


रणभेरी जब बज जाएगी।

तब  भर  देंगे  हम हुंकार।।


चढ़ते -चढ़ते चढ़ जायेगा।

पारा   होगा  तेज  बुखार।।


गिन - गिनकर मारे जाओगे।

गूंजेगी    धनुही     टनकार।।


रहते समय अगर तुम संभले।

दे   देंगे  हम   प्यार   दुलार ।।


सर   से  पानी  गुजर रहा है।

अब बदलो अपना व्यहवार।।...


*"अनंग"*


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