शनिवार, 23 अप्रैल 2022

जब सफ़ेद बालों पर....

प्रस्तुति - संत शरण 


प्रेम उस उम्र तक बना रहे 

ज़ब गीली रेत परt

खींची लकीर की तरह

चेहरे पर झुर्रियां उभर आये


प्रेम उस उम्र तक बना रहे

जब देखने के लिए

एक मोटा ऐनक

आँखों पर लग न जाये


शब्द उलझने लगे

कदमों में थरथराहट हो

नि:शब्द हो नयन

और मौन सब कहने लगे

उम्र के उस पड़ाव तक

प्रेम बना रहे

जब बोलने से ही

साँसे भर जाये


तब खूबसूरत दिखने से ज्यादा

खूबसूरत अहसास जरूरी होगा

प्रेम तब तक बना रहे

जब सफेद बालों पर

कोई रंग न भाये


जीवन के लम्बे सफर के बाद

मंजिल होगा वह स्पर्श 

जिसमें काँपती,मुरझाई हथेलियाँ 

चेहरे को हाथों में भर लेंगे 

और यही होगी औषधि 

हर उस रोग के लिए

जिसका कोई इलाज़ बाकि न होगा...!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...