मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

एक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले

 एक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले।

मैंने मंजिल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले।।


रामावतार त्यागी के इस गीत को अधिकांश लोगों ने सुना है। मैं भी इस गीत को बचपन से सुनता आ रहा हूँ। वेदना का यह गीत घोर निराशा से आशा की ओर ले जाता है। फिल्म ‘ज़िंदगी और तूफ़ान’ (1975) के इस गीत में विशेष बात यह रही कि इसमें कवि रामावतार त्यागी ने जीवन की उस सच्चाई का प्रदर्शन किया है, जिसे स्वीकारने से तत्कालीन समाज डरता रहा।

कवि रामावतार त्यागी के समय के साहित्य की बात करें तो सन् 1936 ई. के आस-पास कविता में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक शोषण से मुक्ति का स्वर अभिव्यक्त होने लगा था। इसी नवीन धारा को प्रगतिवाद नाम दिया गया। जिसका प्रारंभ पंत व निराला ने किया। यह कविता व्यक्तिवाद, कलावाद के कारण चर्चा में रहीं। परंतु कवि रामावतार त्यागी ने जिस शैली को अपनाया वह आम पाठक की समझ में खूब आती थी।

कवि रामावतार त्यागी की लगभग पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनकी कुछ कविताएँ एनसीईआरटी के हिंदी पाठ्यक्रम में भी शामिल की गईं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा के कक्षा आठ के पाठ्यक्रम में भी उनकी ‘समर्पण’ नामक कविता शामिल है। यही नहीं बल्कि उनके जीवन की खास बात यह भी रही कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा ने उन्हें राजीव गांधी और संजय गांधी हिंदी वाचन के लिए निजी शिक्षक भी नियुक्त किया। घर की रूढ़िवादिता से विद्रोह कर त्यागी ने अत्यंत विषम परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की।

अंत में दिल्ली आकर इन्होंने वियोगी हरि और महावीर अधिकारी के साथ संपादन कार्य किया। त्यागी पीड़ा के कवि हैं। इनकी शब्द-योजना सरल तथा अनुभूति गहरी है। इनका कविता संग्रह ‘आठवाँ स्वर’ पुरस्कृत है। उन्होंने नवभारत टाइम्स के लिए एक क्राइम रिपोर्टर के रूप में काम किया। उन्होंने साप्ताहिक लेख ‘मलूक दास की क़लम से’ भी लिखा।

यह महान कवि 12 अप्रैल सन 1985 को इस नश्वर दुनिया को छोड़ सदा के लिए चला गया। वह देशप्रेमी कविताएँ भी खूब लिखते थे। उनकी ‘समर्पण’ कविता विभिन्न पाठ्यक्रम में शामिल की गई है। कविता का पाठ करते-करते मन में जो देशभावना उमड़ती है वह देखने लायक होती है- तन समर्पित मन समर्पित / और यह जीवन समर्पित / चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ 

उन्होंने जितना प्रेम अपने गाँव को किया उससे कहीं अधिक अपने देश को भी किया। प्रकृति प्रेम उनके साहित्य में स्पष्ट झलकता है तो सामाजिक ताने-बाने को भी उन्होंने अपने साहित्य की विषयवस्तु बनाया है। किंतु दुःख का विषय है कि रामावतार त्यागी जैसे महान साहित्यकार और उनके साहित्य पर अभी आवश्यक प्रकाश नहीं डाला गया है। ऐसे में रामावतार त्यागी के व्यक्तित्व एवं उनके कृतित्व पर शोधपूर्ण अध्ययन की आवश्यकता है।


विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें -

 ‘शोधादर्श’ 

(संदर्भित एवं समीक्षित शोध आलेखों की त्रैमासिक पत्रिका) का अंक 

(मार्च - मई, 2022)

RNI- UPHIN/2018/77444

ISSN 2582-1288

मूल्य- 200 रुपए

अमन कुमार

मोबा.- 9897742814

20 अप्रैल से सभी के लिए उपलब्ध


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