पुत्र अमेरिका में जॉब करता है।
उसके माँ बाप छोटे शहर में रहते हैं।
अकेले बुजुर्ग हैं, बीमार हैं, लाचार हैं।
जहां पुत्र की आवश्यकता है। वहां पैसा भी काम नहीं आता।
पुत्र वापस आने की बजाय पिता जी को एक पत्र लिखता है।
😔😔😔
*पुत्र का पत्र पिता के नाम*
*पूज्य पिताजी!*
*आपके आशीर्वाद से आपकी भावनाओं इच्छाओं के अनुरूप मैं, अमेरिका में व्यस्त हूं।*
*यहाँ पैसा, बंगला, साधन सुविधा सब हैं,*
*नहीं है तो केवलसमय।*
*आपसे मिलने का बहुत मन करता है। चाहता हूं,*
*आपके पास बैठकर बातें करता रहूं हूँ।*
*आपके दुख दर्द को बांटना चाहता हूँ,*
*परन्तु क्षेत्र की दूरी,*
*बच्चों के अध्ययन की मजबूरी,*
*कार्यालय का काम करना भी जरूरी,*
*क्या करूँ? कैसे बताऊँ ?*
*मैं चाह कर भी स्वर्ग जैसी जन्म भूमि*
*और देव तुल्य माँ बाप के पास आ नहीं सकता।*
*पिताजी।!*
*मेरे पास अनेक सन्देश आते हैं -*
*"माता-पिता जीवन भर अनेक कष्ट सह कर भी बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाते हैं,*
*और बच्चे मां-बाप को छोड़ विदेश चले जाते हैं,*
*पुत्र, संवेदनहीन होकर माता-पिता के किसी काम नहीं आते हैं। "*
*पर पिताजी,*
*मैं बचपन मे कहाँ जानता था इंजीनियरिंग क्या होती है?*
*मुझे क्या पता था कि पैसे की कीमत क्या होती है?*
*मुझे कहाँ पता था कि अमेरिका कहाँ है ?*
*, योग्यता नाम पैसा सुविधा और अमेरिका तो बस,*
*आपकी गोद में बैठ कर ही समझा था न?*
*आपने ही मंदिर न भेजकर कॉन्वेंट स्कूल भेजा,*
*खेल के मैदान में नहीं कोचिंग भेजा,*
*कभी आस पडोस के बच्चों से दोस्ती नहीं करने दी*
*आपने अपने मन में दबी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दिन रात समझाया की*
*इंजीनियरिंग /पैसा /पद/ रिश्तेदारों में नाम की वैल्यू क्या होती है,*
*माँ ने भी दूध पिलाते हुये रोज दोहराया की ,*
*मेरा राजा बेटा बड़ा आदमी बनेगा खुब पैसा कमाऐगा,*
*गाड़ी बंगला होगा हवा में उड़ेगा कहा था।*
*मेरी लौकिक उन्नति के लिए,*
*जाने कितने मंदिरों में घी के दीपक जलाये थे।।*
*मेरे पूज्य पिताजी!*
*मैं बस आपसे इतना पूछना चाहता हूं कि,*
*संवेदना शून्य मेरा जीवन आपका ही बनाया हुआ है*😕
*मैं आपकी सेवा नहीं कर पा रहा,*
*होते हुऐ भी आपको पोते पोती से खेलने का सुख नहीं दे पा रहा*
*मैं चाहकर भी पुत्र धर्म नहीं निभा पा रहा,*
*मैं हजारों किलोमीटर दूर बंगले गाडी और जीवन की हर सुख सुविधाओं को भोग रहा हूं*
आप, उसी पुराने मकान में वही पुराना अभावग्रस्त जीवन जी रहे हैं
*क्या इन परिस्थितियों का सारा दोष सिर्फ़ मेरा है?*
*आपका पुत्र,*
******
*अब यह फैंसला हर माँ बाप को करना है कि अपना पेट काट काट कर, तकलीफ सह कर, अपने सब शौक समाप्त करके ,बच्चों के सुंदर भविष्य के सपने क्या इन्हीं दिनों के लिये देखते हैं?*
*शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है पर साथ में नैतिक मूल्यों की शिक्षा, राष्ट्र प्रेम और सनातन संस्कार भी उतना ही जरूरी है, क्या वास्तव में हम कोई गलती तो नहीं कर रहे हैं.....?????*
*(साभार)*
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