शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

*🙏 नमक का स्वाद....*

 

प्रस्तुति  - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा


एक बार एक परेशान और निराश व्यक्ति अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला - गुरूजी मैं जिंदगी से बहुत परेशान हूँ। मेरी जिंदगी में परेशानियों और तनाव के सिवाय कुछ भी नहीं है। कृपया मुझे सही राह दिखाइये।


गुरु ने एक गिलास में पानी भरा और उसमें मुट्ठी भर नमक डाल दिया। फिर गुरु ने उस व्यक्ति से पानी पीने को कहा। उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया।


गुरु - इस पानी का स्वाद कैसा है ? बहुत ही ख़राब है, उस व्यक्ति ने कहा। फिर गुरु उस व्यक्ति को पास के तालाब के पास ले गए। गुरु जी ने उस तालाब में भी मुठ्ठी भर नमक डाल दिया फिर उस व्यक्ति से कहा– इस तालाब का पानी पीकर बताओ की कैसा है। 


उस व्यक्ति ने तालाब का पानी पिया और बोला– गुरूजी यह तो बहुत ही मीठा है।


गुरु ने कहा - बेटा जीवन के दुःख भी इस मुठ्ठी भर नमक के समान ही है। जीवन में दुखों की मात्रा वही रहती है, न ज्यादा न कम। लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों का कितना स्वाद लेते हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपनी सोच एवं ज्ञान को गिलास की तरह सीमित रखकर रोज खारा पानी पीते हैं या फिर तालाब की तरह बनकर मीठा पानी पीते हैं।


*सदैव प्रसन्न रहिये। जो प्राप्त है, पर्याप्त है....* बस इसी सोच के साथ आप अपना व अपने परिवार का ख्याल रखते हुयें सदा हंसते - मुस्कुराते रहें और सदा चलते रहें जोश, जुनून और जज्बे के साथ ....

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