सोमवार, 19 सितंबर 2022

कथा संवाद" 2022 सितंबर में जुड़ा नया अध्याय

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श्री हरि सुमन बिष्ट  की अध्यक्षता एवं  श्री राकेशरेणु के सानिध्य में 


रविवार 18 सितंबर 2022 को ग़ाज़ियाबाद में मासिक कहानी कार्यशाला "कथा संवाद" में जीवन के 62 बरस पूर्ण कर चुके 

श्री तेजवीर सिंह ने लेखन का नया अध्याय लिख डाला

आदिवासी और नक्सली पृष्ठभूमि पर लिखी उनकी कहानी 'गुनमुनी' भरपूर सराही गई। श्री तेजवीर सिंह की यह स्वीकारोक्ति काबिल ए गौर है कि कार्यशाला में उनकी निरंतर भागीदारी ने ही उन्हें कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया। और आखिरकार वह इसमें सफल हुए।

श्री रेणु का सुझाव था कि श्री तेजवीर सिंह के इस कथानक में उपन्यास की पूरी संभावना मौजूद है, लिहाजा उन्हें उपन्यास के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।

"कथा संवाद" की दूसरी उपलब्धि रही युवा कवयित्री सुश्री प्रतिभा प्रीत की कहानी "मुक्ति"। यह कहानी दीवार और उसमें गड़ी कील के आपसी रिश्ते का बयान है। विमर्श में शामिल लोगों का कहना था कि यह कहानी सामाजिक, पारिवारिक व वैवाहिक रिश्तों की गहरी पड़ताल करती है।

इस कार्यशाला की एक बड़ी उपलब्धि यह है कि पत्रकार श्री शकील सैफ भी साठ की उम्र के बाद लेखन शुरू करने वालों की जमात में निरंतर मजबूती से खडे़ हो रहे हैं। कार्यशाला में पढ़ी गई उनकी तीसरी कहानी 'करामाती जिन्नात' पर लंबी बहस हुई। अतिथियों का कहना था कि कहानी को हमें अंधविश्वास और रूढ़िवादिता के खांचों में कैद रखने के बजाए कहानियों के जरिए समाधान तलाश कर मुक्ति व तरक्की का रास्ता दिखाना चाहिए। 

कार्यशाला के प्रति प्रतिबद्ध सुश्री मनु लक्ष्मी मिश्रा के जज्बे को सलाम। राजधानी दिल्ली के एक कार्यक्रम से सीधे होटल रेडबरी पहुंचीं। जहां मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन परिवार उनकी नई कहानी की बेताबी से प्रतीक्षा कर रहा था। उनकी कहानी 'मृत्यु नहीं जीवन' निम्न मध्यवर्गीय परिवार की जद्दोजेहद व अवसाद को कई स्तरों पर रेखांकित करती चलती है। कथानक को मर्मस्पर्शी अहसास देने का हुनर मनु लक्ष्मी जी बखूबी जानती हैं। 

हापुड़ से विशेष रूप से निरंतर तशरीफ़ लाने वाले डॉ. अजय गोयल की पर्यावरण पर चिंता जताती कहानी 'इंडिया मस्ट बी ब्लेड' का फलक निःसंदेह काफी बड़ा था। जिसकी हर वक्ता ने सराहना की।

कार्यशाला में बड़ी संख्या में नवांकुर भी शामिल थे। उनमें से सिमरन ने 'मां' शीर्षक से अपने कथानक को अभिव्यक्त किया। सिमरन के इस प्रयास को सभी ने सराहा। साथ ही उन्हें निरंतर लिखने की सलाह भी दी गई। 

फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री शिवराज सिंह के प्लाट 'आत्मा' पर भी गंभीर विमर्श हुआ। कहानी का तानाबाना गांव के उस भोले-भाले युवक के इर्दगिर्द बुना गया था जिसका विभिन्न स्तर पर शोषण होता है। पलायन के बावजूद वह मजहबी कटुता का शिकार हो जाता है।

डॉ. प्रीति कौशिक ने भी लंबे अंतराल के बाद पारिवारिक पृष्ठभूमि पर केंद्रित एक शीर्षक विहीन कहानी का पाठ किया। श्रोताओं के लिए कार्यक्रम अध्यक्ष श्री हरि सुमन बिष्ट जी की कहानी 'प्रेक्षागृह' एक अलग तरह का अनुभव रहा। 

  विमर्श में महा मंडलेश्वर (यह उपाधि हमारी दी हुई नहीं है) श्री सुभाष चंदर जी ने किसी कहानी की तुरपन तो किसी की सिलाई उधेड़ दी। उधेड़ा-उधेड़ी में रंगकर्मी श्री अनिल शर्मा जी ने महा मंडलेश्वर जी का भरपूर साथ निभाना। 

मुझ रफूगर की तमाम कोशिशों के बावजूद खुदा के कुछ बंदे उधड़े में टांग फंसाने से बाज नहीं आए।

रिंग मास्टर की भूमिका रिंकल शर्मा जी को सौंपी गई थी। जो उन्होंने बखूबी नहीं निभाई। जलपान के लिए उन्होंने इस पैदायशी भुक्खड़ को लगभग चार घंटे का इंतजार करवा दिया।

भला हो झांसी से आई डॉ. निधि अग्रवाल व भाई श्री वागीश शर्मा जी का जिन्होंने बैक बैंच से ही कमेंट्री का मोर्चा संभाल लिया। नहीं तो गरम पकौड़ों के साथ ठंडी चाय पीनी पड़ती।

हां...! इस वृतांत में श्री शिवराज जी द्वारा लजीज मिठाई खिलाने की बात तो रह ही गई। शिवराज जी दादा बन गए भाई...

और अपने दादा मुनि श्री कुलदीप जी का हृदय से आभार। पूरे कार्यक्रम में कैमरा लिए फ्लैशगन चमकाते रहे।

और दरियादिल मित्र श्री भारत भूषण बरारा जी की मेहमाननवाजी के क्या कहने

शरीर और आत्मा का भोजन उपलब्ध करवा कर तृप्त कर दिया।

विमर्श में श्री सुरेंद्र सिंघल, श्री हंसराज सिंह, श्री सत्यनारायण शर्मा ने कुछ को धोया, कुछ को निचोड़ा। 

द्वितीय "दीप स्मृति कथा सम्मान" डॉ. पूनम सिंह की कहानी 'मत लौटना आंगन पाखी' को प्रदान किया गया। उनकी अनुपस्थिति में सम्मान डॉ. बीना शर्मा ने ग्रहण किया।

सुश्री सिनीवाली शर्मा, सुश्री नेहा वैद, श्री अनिल 'मीत', श्री पवन कुमार 'पवन', श्री संजीव शर्मा, श्रीमती सरोज गुप्ता, श्री अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, श्री नित्यानंद तुषार, डॉ. मिथिलेश भास्कर, श्री बी. एल. बतरा, श्री राजीव सिंघल, श्री जावेद खान सैफ, आचार्य श्री शील भास्कर, सुश्री अंजलि, श्री टेकचंद, श्री सौरभ कुमार, सुश्री निकिता करायत, श्री पराग कौशिक, सुश्री शिवानी, सुश्री हेमलता, श्री अभिषेक कौशिक, श्री राममूर्ति शर्मा, श्री गजेंद्र चौधरी, श्री साजिद खान  सहित सभी उपस्थित महानुभावों का हार्दिक आभार। जिन्होंने शहर में चार कार्यक्रम के बावजूद हमें इज्जत बख्शी।


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