मंगलवार, 13 सितंबर 2022

भारतीय सिनेमा'

 हाल ही में अनामिका प्रकाशन प्रयागराज से प्रकाशित 'भारतीय सिनेमा' को एक मत्वपूर्ण कड़ी के रूप में जोड़ा जा सकता है, जिसके लेखक महेन्द्र मिश्र इससे पूर्व भी बहुआयामी लेखन करते रहे हैं। 'भारतीय सिनेमा' अपने आप में एक शोधपरक विस्तृत दस्तावेज है जिसे लेखक महेन्द्र मिश्र ने बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है।

 लेखक ने 'भारतीय सिनेमा' में न केवल हिन्दी बल्कि बांग्ला, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, उड़िया, भोजपुरी, गुजराती, पंजाबी, मराठी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों और फिल्मकारों पर विस्तार से लेखन किया है।  इस विस्तृत दस्तावेज के माध्यम से पाठकों को भारतीय सिनेमा को समग्र रूप से समझने में सहायता मिलती है।


यह पुस्तक न केवल सिनेमा में सामान्य रूप से रुचि रखने वाले सिनेप्रेमियों को जानकारी प्रदान करती है, बल्कि सिनेमा के गंभीर अध्येताओं और शोधार्थियों को प्रामाणिक और शोधपरक सामग्री उपलब्ध कराती है।  

लेखक ने अपनी कृति में भारतीय सिनेमा के निर्माण पर दशकवार विश्लेषण किया है।

 ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत में सिनेमा का प्रारम्भ 1895 में लंदन में प्रदर्शित हुए लूमियेर के चलचित्र से माना जा सकता है।  1896 में लूमियेर की फिल्में बम्बई में प्रदर्शित हुईं।  प्रोफेसर स्टीiवेन्सन ने 1897 में कलकत्ता के स्टार थियेटर में फिल्म का प्रदर्शन आयोजित किया।  उस प्रदर्शन के कुछ दृश्यों के आधार पर एक भारतीय फोटोग्राफर हीरालाल सेन ने 1898 में पहली मूल फिल्म फ्लावर ऑफ परशिया बनाई।

  1899 में बम्बई के हैंगिंग गार्डन में हरिश्चन्द्र सखाराम भाटवडेकर ने, जो सावेदादा के नाम से मशहूर थे, दो मशहूर पहलवानों-पुण्डलीकदास और कृष्ण नाहवी की कुश्ती पर अपनी फिल्म ‘दि रेसलर्स‘ का प्रदर्शन किया।  किसी भारतीय द्वारा बनाई जाने वाली यह पहली फिल्म थी।  इसे हम पहला वृत्तचित्र भी कह सकते हैं।

 18 मई 1912 वह दिन था जब भारत की पहली मूक फिल्म श्री पुण्डलीक कोरोनेशन सिनेमेटोग्राफ मुम्बई में रिलीज हुई।  यह फिल्म दादासाहिब तोर्बे ने बनाई थी।  भारत का पहला पूर्ण कथानक वाला चलचित्र था राजा हरिशचन्द्र।  निर्माता, निर्देशक थे धुंदीराज गोविन्द फाल्के- दादा साहेब फाल्के।  दादा साहेब फाल्के भारतीय फिल्म उद्योग के पुरोधा-प्रवर्तक माने जाते हैं।  इस फिल्म के निर्माण और प्रदर्शन ने भारतीय सिनेमा का मार्ग प्रशस्त किया।

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