गुरुवार, 27 जनवरी 2022

अर्चना श्रीवास्तव 'आहना', मलेशिया

 #तेरा साथ#

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हर्षित है,पुलकित,मनोहारी ,विभोर सृष्टि

ऐसा प्रणय-भाव दृष्टिगोचर, ना और कही 

यह खगवृंद क्या उर मे शोर  नही मचाते 

सगंराही के प्रति अगाध लग्न की प्रतिध्वनि?

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हर पल की चाह हो,साथ की हसरत मेरी

बेपनाह ख्वाहिशों से भरा मेरा साथ, जीवनीसंग

तेरे गम को पहचाना, खुशी को भी आजमाया

अपने रंजो-गम भूल बस तुझे दिल से अपनाया

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मेरे मौन की धडकन, हर आहट तेरी राह निहारे

निहाल रही तेरे साथ के एहसासों मे,पलके बिछाये

एक सुकून जो बेकरारी रही, ताउम्र लडती रही

वक्त के आर-पार ना जा सके, तो ठहरने को तरसती

दो लम्हा ,जहां हम खुद से मिले बेबाक,बेखटक

तेरे ही साथ का असर ,अधरों पर मुस्कान ठहरे

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खुशी अतिरेक हो दर्द की घुटन का दंश

कोई रोकता है ,टोकता है हरकही संग-अंग

बेख्याली हो या कठिन चुनौती का खिंचाव-तनाव

मौजूद हर मौसम में , न्योछावर सर्वस्व मन-प्राण 

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ना जीने-मरने की कसमे ,ना वादों के पुलिंदे के कागजी ख्याल

 ना तौल-नाप ,नाअहम-बिरादरी ,पंथ-रिवाज का सवाल

 दिये सा रौशन ,आ़खो का तारा ,हे प्रिय मुझे तुझपर नाज


जिस्म से जान तक ,चाहत-लग्न सर का मान ताज 


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सतत् प्रेम-अर्पण सिर्फ अन्य जीवो के, आपसी नाते की स्वीकृति

विलुप्त-दुर्लभ एकनिष्ठ भरोसा-नेह छांव से  मानव की सर्वथा असहमति


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@अर्चना श्रीवास्तव 'आहना', मलेशिया

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