#तेरा साथ#
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हर्षित है,पुलकित,मनोहारी ,विभोर सृष्टि
ऐसा प्रणय-भाव दृष्टिगोचर, ना और कही
यह खगवृंद क्या उर मे शोर नही मचाते
सगंराही के प्रति अगाध लग्न की प्रतिध्वनि?
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हर पल की चाह हो,साथ की हसरत मेरी
बेपनाह ख्वाहिशों से भरा मेरा साथ, जीवनीसंग
तेरे गम को पहचाना, खुशी को भी आजमाया
अपने रंजो-गम भूल बस तुझे दिल से अपनाया
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मेरे मौन की धडकन, हर आहट तेरी राह निहारे
निहाल रही तेरे साथ के एहसासों मे,पलके बिछाये
एक सुकून जो बेकरारी रही, ताउम्र लडती रही
वक्त के आर-पार ना जा सके, तो ठहरने को तरसती
दो लम्हा ,जहां हम खुद से मिले बेबाक,बेखटक
तेरे ही साथ का असर ,अधरों पर मुस्कान ठहरे
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खुशी अतिरेक हो दर्द की घुटन का दंश
कोई रोकता है ,टोकता है हरकही संग-अंग
बेख्याली हो या कठिन चुनौती का खिंचाव-तनाव
मौजूद हर मौसम में , न्योछावर सर्वस्व मन-प्राण
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ना जीने-मरने की कसमे ,ना वादों के पुलिंदे के कागजी ख्याल
ना तौल-नाप ,नाअहम-बिरादरी ,पंथ-रिवाज का सवाल
दिये सा रौशन ,आ़खो का तारा ,हे प्रिय मुझे तुझपर नाज
जिस्म से जान तक ,चाहत-लग्न सर का मान ताज
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सतत् प्रेम-अर्पण सिर्फ अन्य जीवो के, आपसी नाते की स्वीकृति
विलुप्त-दुर्लभ एकनिष्ठ भरोसा-नेह छांव से मानव की सर्वथा असहमति
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