रविवार, 23 जनवरी 2022

रवि अरोड़ा की नजर से....

 आपने कभी देखी / रवि अरोड़ा



किसी फिल्म का तो याद नहीं मगर जहां तक साक्षात दर्शन की बात है तो मुझे अभी तक लैंबोर्गिनी कार के दीदार नहीं हुए । करोड़ों रुपयों की इस कार में सवारी तो कभी सपने में भी नसीब नहीं हुई । क्या करूं मेरे सभी लोग हैं ही गरीबडे , एक बढ़िया कार तक नहीं खरीद सकते । अपने शहर की बात करूं तो यहां भी सब फक्कड़ ही हैं । एक लैंबोर्गिनी भी पूरे शहर में नहीं है । बड़े बड़े धन्ना सेठ घूम रहे हैं मगर हैं सब हवा हवाई ही । असली माल तो दिल्ली, मुंबई और बंगलुरू जैसे शहरों के लोग लिए बैठे हैं । इस कोरोना काल में मोदी जी की सलाह का असली पालन भी उन्होंने ही किया और आपदा में अवसर पैदा कर लिया । 


आज सुबह ही अखबार में पढ़ा कि देश में पिछले साल लैंबोर्गिनी की बिक्री में रिकार्ड तोड़ वृद्धि हुई है । यह वृद्धि 86 फीसदी आंकी गई । कंपनी के इतिहास में ऐसा 59 साल बाद हुआ । कोरोना में पूरा देश तबाह हो गया मगर कुछ लोगों पर लक्ष्मी इतनी मेहरबान हुई कि उनके छप्पर ही नोटों की बरसात से फट गए । लैमोर्गिनी बनाने वाली कंपनी ने अपनी सालाना रिपोर्ट जारी करते हुए बताया है कि उसकी दुनिया भर में बिक्री दर सबसे अधिक भारत में बढ़ी है । आलम यह है कि 2021 ही नही 2022 के लिए भी बुकिंग फुल हो गई है । अब जिसे यह कार चाहिए उसे 2023 तक का इंतजार करना पड़ेगा । जी नहीं , यह कोई ऐसी वैसी कार नहीं है । इसका सस्ते से सस्ता मॉडल भी साढ़े तीन करोड़ रुपए का है । ऊंचा मॉडल चाहिए तो साढ़े पांच करोड़ खर्च करने पड़ेंगे ।

उधर दुनिया की सबसे महंगी कार रॉल्स रॉयस की भी यही कहानी है । उसकी भी भारत में रिकॉर्ड तोड बिक्री हुई है । अब ऐसा हो भी क्यों नहीं , देश तरक्की की राह पर कुलांचें जो भर रहा है । पिछले हफ्ते ही अखबार में खबर थी कि कोरोना काल में अडानी की संपत्ति दोगुनी हो गई । अंबानी ने भी अपने पैसे डेढ़ गुना कर लिए । देश में इतने नए अरबपति बन गए जितने सत्तर सालों में नहीं बने ।

 सरकार भी कह रही है कि हम अगले कुछ सालों में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेंगे । देखा है न खुशखबरी ?


मगर पता नहीं क्यों कुछ लोग हमारी खुशियों से जलते हैं और सुबह शाम आएं शाएं बकते हैं । पता नहीं कौन अखबारों में छपवा रहा है कि देश की 57 फीसदी संपत्ति 10 फीसदी लोगों के पास है । वैश्विक असमानता रिपोर्ट में भी न जाने किसने डलवा दिया कि गरीब अमीर के बीच असमानता बढ़ने के मामले में भारत दुनिया का अगुआ देश बन रहा है । नीति आयोग में भी कुछ विघ्न संतोषी बैठे हैं जो दावा कर रहे हैं कि भारत का हर तीसरा आदमी गरीब है । पार्वटी एंड शेयर्ड पोस्पैरिटी रिपोर्ट भी पता नही इस साल किसने तैयार की और लिख दिया कि भारत में पिछले 45 सालों में जितने गरीब बड़े उतने पिछले एक साल में बढ़ गए । सरकारी आंकड़ा 2019 तक 36 करोड़ गरीब लोगों का था मगर कुछ खुराफातियों ने सरकार से 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज बंटवा कर इस आंकड़े को भी पलीता लगा दिया । न जाने कौन खुराफाती हैं जो कह रहे हैं कि देश गरीब हो रहा है और लोग अमीर हो रहे हैं । बेरोजगारी  और भुखमरी के आंकड़े भी घर में बैठ कर ही किसी ने जारी कर दिए । मेरे खयाल से हमारे सिस्टम में कुछ बिगाड़ खाते वाले लोग हैं । उन्हें देश की तरक्की दिखाई ही नहीं देती ।

 न जाने कहां कहां से लाकर न जाने किस किस की रिपोर्ट छपवा देते हैं । चलिए जाने दीजिए उन्हें । आप बताइए क्या आपने कभी देखी है लिंबोर्गिनी कार ?


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