शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

#प्रेम और #मोह ..प्रेम..!!!/ ओशो

 


आखिर क्या है यह प्रेम..

और क्या है यह मोह...? 

कितने लोग इसके बीच का फर्क समझते हैं ??


'प्रेम' और 'मोह' यह दो ऐसे शब्द है 

जिनके बीच जमीन और आसमान का फर्क है ..!


अर्थात - प्रेम वह जिसमें पाने की कोई चाह नहीं होती... और मोह वह जो पाने के लिए विवश कर दे ...

जब व्यक्ति किसी इंसान से या किसी भी वस्तु से प्रेम करता है तो उसे पाने के लिए 

न जाने वह क्या-क्या करता है ..

पर असल में वह व्यक्ति की चाहत बन जाती है ....

और चाहत कब मोह का रूप ले लेती है ..

यह व्यक्ति समझ ही नहीं पाता 

और उस पाने की चाह को ही प्रेम समझ बैठता है.. 

किंतु जब हम किसी से सच में प्रेम करते हैं 

तो हम बस उसको खुश देखना चाहते हैं 

उसकी खुशी में ही स्वयं की खुशी ढूंढ लेते हैं..!


मनुष्य की सबसे प्रिय चीज होती है उसकी " स्वतंत्रता "


जब हम किसी व्यक्ति को जिससे हम कहते हैं 

कि हम बहुत प्रेम करते हैं 

उसको बांधने की कोशिश करते हैं ...

उसको समझते नहीं ..

उसको उसकी जिंदगी अपने हिसाब से 

नहीं जीने देते ..

उससे बहुत सी उम्मीदें करते हैं 


परंतु क्या यह सच में प्रेम है ...?


जिससे आप प्यार करते हो उसको पाना ..

अपना बनाना या खुद से बांध कर रखना 

क्या यह प्रेम है ..? 


नहीं असल में यह मोह है ...

इंसान मोह को प्रेम का नाम दे देता है 

क्योंकि जब आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं 

तो उसको आजाद छोड़ देते हैं 

क्योंकि आपको उस पर भरोसा होता है 

कि वह व्यक्ति विशेष चाहे कुछ भी करें परंतु 

वह रहेगा आपका ही होकर हमेशा ...


विश्वास है एक ऐसी डोर होती है ..

जो किसी भी रिश्ते के लिए बहुत जरूरी होती है ....

यदि आपको अपने रिश्ते पर भरोसा नहीं होगा तो 

रिश्ता कामयाब नहीं होगा..

अतः यदि प्रेम है तो भरोसा भी करना पड़ेगा 

तभी रिश्ते की डोर मजबूत बनेगी ...!


हम स्वयं क्यों नहीं यह बात आजमा कर देखते .. 

जब वह व्यक्ति जिसे आप प्रेम करते हो 

वह जरूरत से ज्यादा आप को बांधकर रखें 

हमेशा अपनी इच्छाओं का पालन करवाएं 

बजाए आपकी इच्छाओं को महत्व देने के 

और आपसे प्रत्येक क्षण पर सवाल करें 

और उस मोह को प्रेम का नाम दें 

तो कैसा महसूस होता है ..?


बहुत सीधा सा जवाब है 

जाहिर सी बात है हमें पसंद नहीं आता ..क्यों ? 


क्योंकि हमें आजादी की आदत होती है ...

हम सभी को अपनी जिंदगी अपने 

तरह से जीने की आदत होती है 

ठीक उसी प्रकार सामने वाला भी है 

यदि आप उसको सच में प्रेम करते हैं 

तो उसको समझना सीखिए 

उस पर भरोसा करना सीखिए 

जरूरी नहीं आप जिससे प्रेम करो 

उसको अपना बनाओ तभी वह प्रेम है.. 


अतः प्रेम वह है जो निस्वार्थ भाव से किया जाए, 

प्रेम जिससे आप प्यार करो उसकी खुशी ही 

आपके लिए सब कुछ हो वह खुश तो आप खुश...

रिश्ते में मोह होगा तो कभी भी रिश्ता कामयाब नहीं होगा रिश्ता चाहे कोई भी हो 

अगर उसे प्यार के पानी से सिंचा जाएगा 

तभी वह खिलेगा..

मजबूत बनेगा ..

अतः मोह के बंधन में 

बंधा होगा तो टूट जाएगा..!


अतः जिससे आप प्रेम करते हैं, 

उसको स्वतंत्र छोड़ दीजिए 

मोह हट जाएगा तो 


#__प्रेम स्वयं ही बढ़ जाएगा ..!

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